Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Mumbai UniversityPage 13
________________ पृष्ठ १०२ (१२) कंडिका विषय पृष्ठ कंडिका विषय 'श्च' नो 'छ' (४०) ९५ | नाटकोना प्राकृतनी अनुस्वारलोप (४१) , दुर्दशा १०० वचला स्वरनो लोप अने 'प्राकृत' नीच पात्रोनी भाषा छे ? वचला स्वरसहित व्यंजननो 'प्राकृत भाषाना अभ्यास लोप (४२) ,, विना संशोधन कार्य ज 'थ' नो 'ध' (४३) ९६ अशक्य छ 'ई' नो 'ए' (४४) ,, ५८ 'प्राकृत'ना अभ्यास 'क' नो 'ग' 'अ' नो विना भाई-भाई बच्चे 'इ''इ' नो 'ए'(४५) ९६ पडेलु अंतर १०३ 'र' नो 'ल' तथा ५९ व्यापक प्राकृतमा समाती 'ऋ' नो 'ल' (४६) ,, भाषाओ 'ल' नो लोप (४७) ९७ ६० बौद्धमागधी-पालि-नो 'श' नो 'ष' (४८) , परिचय 'द' नो 'त' (४९) , आर्षप्राकृत-अर्धमागधी'र' नो लोप थया पछी नो परिचय . १०७ द्विर्भाव (५०) , 'अर्धमागधी 'नो अर्थ'अय' नो 'ओ' (५१) ९७ विचार 'प' नो 'ब' (५२) , अर्धमागधीमां 'त' श्रति १११ आयव्यंजननो लोप (५३) ,, अर्धमागधी अने जैनस्वर अने संयुक्त वर्णनां । परंपरा विलक्षण उच्चारणो (५४) ९८ आर्षप्राकृतनी पूज्यता १२० 'ण' नो 'न' (५५) ९९ आर्षप्राकृतना सांगोपांग 'ष' नो 'स' (५६) , व्याकरणनो अभाव संस्कृतना अभ्यासिओनुं । ६२ साधारण प्राकृतनो प्राकृतना अभ्यास तरफ परिचय दुर्लक्ष अने तेनुं 'महाराष्ट्र प्राकृत' दुष्परिणाम नो अर्थ १२४ १०४ ११० ११२ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.orgPage Navigation
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