Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University

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Page 11
________________ कंडिका विषय निपातोमां दीर्घ (२९) ६४ ६५ उच्चारण अक्षरव्यत्यय (३०) त्वर्थसूचक प्रत्यय (३१) आज्ञार्थसूचक मध्यम ६६ पुरुष एकवचन (३२) संबंधक भूतकृदंत ( ३३ ) 'भि' अने 'हि' (३४) ६७ ४२ "" त्रीजो पुरुष बहुवचन 'रे' प्रत्यय (३५) वैदिक रूपो अने व्यापक प्राकृतनां रूपो ( ३६ ) गुजरातीनो भाववाचक 'आइ' प्रत्यय ( ३७ ) गुजरातीनो 'नो' प्रत्यय अनुस्वारलोप ( ३९ ) द्विवचन अने ( १० ) पृष्ट | कंडिका ( ४० ) बहुवचन लिंग वगेरेनो विपर्यय ( ४१ ) < 'अन' प्रत्यय ( ४२ ) आदिमां Jain Education International در (४७) 33 " ६८ (३८) ६९ ६८ ލމ ७० " भूतकाळमां 'अ ' नो अभाव ( ४३ ) ७१ संधिनो अभाव (४४) केटलाक धातुओ (४५) ७२ ' णो' प्रत्यय ( ४६ ) विभक्ति विनाना प्रयोगो در 34 ४३ ७२ ४४ ४५ 37 ७१ ४९ ४८ विषय ५१ दिवेदिवे गुजराती 'ई' ( ४९ ) अकारांत अने अकारांत सिवायनां नामो माटे समान विधान पृष्ठ (४८) ७३ (५०) 'कुह' अने 'न' नो प्रयोग ४६-४७ पाणिनिना (५१) व्यापक प्राकृतमां जीवती वैदिक भाषानुं प्रतिबिंब तळपदी गुजराती अने जीवती वैदिक भाषा ' प्रकृतिः संस्कृतम्' वाक्यना अर्थनी संगतता अने असंगतता प्राकृतने समझाववा संस्कृत वाहनरूप छे जे 'वैदिक'ने समझाववा संस्कृत वाहनरूप छे समयनो शिक्षितवर्ग संस्कृतप्रिय भाषातत्त्व अने इतिहास दृष्टि आदेश अने स्थानी < 'पालि ' भाषा माटे 'पालि ' वाहन 'प्रकृतिः संस्कृतम् ' विशे रुद्रटनो टीकाकार For Private & Personal Use Only " ७४ ७४ " ७५ ७६ " ७७ " ७९ "" ८१ ८१ राजशेखरनी प्राकृत - भक्ति ८३ www.jainelibrary.org

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