Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University
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विषय
खास विशेष प्रकारना
घोडा' माटेना शब्दो
बीजा शब्दो
""
३४ व्यापक प्राकृतनो उद्भव
३५ 'प्राकृत' शब्दनो अर्थ ३६ लौकिक संस्कृतनी घटना अने तेनुं प्रयोजन
कंडिका
३३
३७ लौकिक संस्कृत समग्रलोकव्यापक न हतुं लौकिक संस्कृतनो
विकार ते प्राकृत' ए मतनो प्रतिवाद
३८
39
८
उक्त प्रतिवाद विशे पांच
हेतुओ
३९ लौकिक संस्कृत ऊपर पण आदिम जातिओनी भाषानो प्रभाव
४०
४१
6
जीवती वैदिक भाषानो
वारसो व्यापक प्राकृतमां
छे
ए विशेनां उदाहरणो
गणभेद
बाहुल्य ( १ ) धातुओमां नथी ( २ ) आत्मनपद - परस्मैपदनी
अनियतता ( ३ )
'ते' नो ए ( ४ ) कालव्यत्यय ( ५ )
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(९)
पृष्ठ | कंडिका
४४
४५
४६
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४७
४८
४९
27
५१
""
५३
22
विषय
विभक्तिव्यत्यय ( ६ ) अन्त्यव्यंजन लोप ( ७ )
6
स्प 'नो प ( ८ )
"
र 'नो लोप ( ९ )
'य 'नो लोप ( १० )
'ह' नोध ( ११ )
<
'नो ( १२ )
'द्य 'नो ज (१३)
"
'ह' नो 'घ' अने भ (१४),, 'ड' नो 'ल' तथा 'ळ' (१५), अनादिस्थ 'य' अने ' व' नो लोप ( १६ ) ५८ 'र' नो वधारो ( १७ ) अनादिस्थ 'च' अने ' क ' नो लोप ( १८ ) आंतरवर्णनो लोप (१९) ५९
"
स्वरभक्ति
( २० )
'ऋ' नो
'र' अने
८
2
पृष्ठ
५३
५४
५५
'द' - 'ड'
ور
५६
For Private & Personal Use Only
"9
22
(२१) ६०
(२२)
६१
'अव ' नो 'ओ' अने
५७
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"
<
अय' नो 'ए' (२३)
संयुक्त पूर्वे ह्रस्व (२४) ६२
'क्ष' नो 'छ' (२५)
अनुस्वारनी
20
"
पूर्वे
हस्व
(२६) 'विसर्ग' नो 'ओ' (२७) ६३ संयुक्तनो लोप थां पूर्वस्वरनी दीर्घता ( २८ )
६३
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