Book Title: Gandharwad Kavyam
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

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Page 412
________________ जिनबिम्बों का, श्रीपद्मप्रभादि जिनबिम्बों का तथा यक्षयक्षिणी आदि का विशालकाय नूतन जिनमन्दिर में मंगल प्रवेश, तोरण बाँधना एवं बिन्दना, मारणेक स्तम्भ रोपना, बाद में शुभलग्नवेला में श्रीधर्मनाथजी श्रीपद्मप्रभ स्वामीजी आदि जिनबिम्बों की महामंगलकारी प्रतिष्ठा, यक्ष-यक्षिणी मूर्तियों की स्थापना, शिखरोपरि ध्वज दण्ड- कलशारोहण इत्यादि महामंगलकारी कार्य हुए। हेलीकॉप्टर से पुष्पों की वृष्टि भी हुई। बृहद्शान्तिस्नात्र विधिपूर्वक प्रभावना सहित पढ़ाया गया । नौकारशीफलेचंदड़ी ( सारे गाँव का जीमरण) का कार्य हुआ । उसी दिन शा. दीपचन्द जुवानमलजी के घर पर भी पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. के चतुविध संघ सहित पगलां हुए । प्रवचन के बाद प्रभावना हुई । क्रिया हुई । ज्ञानपूजन एवं मंगलरात्रि में विष्टी की वैशाख सुद छठ के दिन चाचोरी में पूज्य मुनिराज श्री प्रमोदविजयजी म. की शुभ निश्रा में जोर्णोद्धार किये हुए जिनमन्दिर में मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथ आदि जिनबिम्बों के तथा यक्ष-यक्षिणी आदि मूर्तियों के मंगल प्रवेश हुए । पूजा - प्रभावना आदि का कार्यक्रम रहा । • ( १७९ )

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