Book Title: Gandharwad Kavyam
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

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Page 431
________________ का बेन्ड युक्त स्वागत किया। जिनमन्दिर में दर्शनादि करने के बाद श्री जैन उपाश्रय में परमपूज्य आचार्य म. सा. का प्रवचन हुआ। उसी समय व्याख्यान में शा. पारसमल अनराजजी मेहता की तरफ से संघपूजा हुई। दूसरी संघपूजा शा. मूलचन्द पन्नालालजी देसरला की ओर से हुई। दोपहर में जिनमन्दिर में प्रभावना सहित पूजा पढ़ाई गई। उसी दिन स्वामीवात्सल्य भी हुआ। (२) आषाढ़ (जेठ) वद २ शनिवार दिनांक १३-६-८७ के दिन प्रातः पूज्यपाद आचार्य म. सा. का प्रवचन हुआ। प्रभावना हुई। बाद में शा. पारसमल अनराजजी मेहता के घर पर तीर्थप्रभावक परमपूज्य प्राचार्य म.सा. चतुर्विध संघ सहित बाजते-गाजते पधारे । वहाँ पर ज्ञानपूजन और मंगलप्रवचन हुआ। उसी समय पूज्यपाद आचार्य म. सा. के सदुपदेश से 'श्रीराणकपुरजी पंचतीर्थी' का पैदल संघ अपनी ओर से निकालने की शा. पारसमलजी मेहता ने प्रतिज्ञा की। बाद में प्रभावना हुई। दोपहर में जिनमन्दिर में पूजा पढ़ाई गई और प्रभावना भी हुई। (३) आषाढ़ (ज्येष्ठ) वद ३ रविवार दिनांक १४-६-८७ के दिन प्रातः पूज्यपाद आचार्य म. सा. का ( १९८ )

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