Book Title: Gandharwad Kavyam
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

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Page 435
________________ किया। जिनमन्दिर में दर्शनादि किये। बाद में पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. का प्रवचन हुा । उसमें शा. हस्तीमलजी हीराचन्दजी गुन्देचा की ओर से संघपूजा हुई। श्रीपादीश्वरजी भगवान के मन्दिर में तीर्थों के पट्टादिक की योजना के सम्बन्ध में परम पूज्य आचार्य म. सा. ने श्रीसंघ को सुन्दर मार्गदर्शन दिया । • आषाढ़ (ज्येष्ठ) वद १४ गुरुवार दिनांक २५-६-८७ के दिन प्रातः सोजतरोड से विहार कर बगडीगाँव पधारे । जिनमन्दिर में दर्शनादि किये। स्थानक में स्थिरता की और श्रीसंघ को पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. ने व्याख्यान सुनाया। • प्राषाढ़ (ज्येष्ठ) वद .)) शुक्रवार दिनांक २६-६-८७ के दिन प्रातः बगड़ी से विहार कर मुंडावा गाँव में आये । जिनमन्दिर के दर्शनादि करके चंडावल गाँव पधारे । वहाँ पर जिनमन्दिर में दर्शनादि करके स्थानक में स्थिरता की। • प्राषाढ़ सुद १ शनिवार दिनांक २७-६-८७ के दिन प्रात: चंडावल से देवलीगाँव पधारे। वहाँ पर भी जिनमन्दिर में दर्शनादि किये। बाद में स्थानक में स्थिरता की। ( २०२ )

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