Book Title: Gandharwad Kavyam
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

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Page 432
________________ व्याख्यान हुआ तथा प्रभावना हुई। बाद में जैनधर्मदिवाकर पूज्यपाद आचार्य भगवन्त चतुर्विध संघ सहित बाजते-गाजते शा. बस्तीमल पन्नालालजी दसेला के घर पर पधारे। वहाँ पर भी ज्ञानपूजन हुई तथा मंगलप्रवचन हुआ। उसी समय परमपूज्य आचार्य म. सा. के सदुपदेश से शा. बस्तीमलजी तथा शा. बाबूमलजी बन्ने भाइयों की तरफ से 'श्रीउपधानतप' कराने की प्रतिज्ञा की गई। तदुपरान्त-शा. बस्तीमलजी की ओर से नूतन चौदह स्वप्न तथा प्रभु का पारणा कराने की जाहेरात हुई। शा. बाबूलालजी की तरफ से मूलनायक आदि तीनों भगवान की नूतन अांगियाँ कराने की जाहेरात हुई। बाद में संघपूजा हुई। श्रीसंघ में अत्यन्त आनंद प्रवर्त्ता । २१ (१) आषाढ़ (ज्येष्ठ) वद ४ सोमवार दिनांक १५-६-८७ के दिन प्रातः धनला से विहार द्वारा देवलीगाँव पधारे। वहाँ पर श्रीसंघ की तरफ से ढोल-थाली युक्त परमपूज्य आचार्य म. सा. आदि का स्वागत हुआ। जिनमन्दिर में दर्शनादि किये तथा जैन उपाश्रय में व्याख्यान हुआ। बाद में प्रभावना हुई। दोपहर में जिनमन्दिर में प्रभावना युक्त पूजा हुई। ( १९९ )

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