Book Title: Gandharwad Kavyam
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

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Page 423
________________ की शुभनिश्रा में श्रीसंघ के अद्वितीय उत्साह के साथ शासनप्रभावना पूर्वक हुआ । शिविर के बारे में अनेक वक्ताओं के भाषण हुए । पूज्यपाद प्राचार्य म.सा. के तथा श्री प्राध्यात्मिक ज्ञानशिविर के सदुपदेशक पूज्य गरिणवर्य श्रीगुणरत्नविजयजी म. आदि के प्रभावपूर्ण प्रवचन हुए। दोपहर में जिनमन्दिर में 'श्रीसिद्धचक्र महापूजन' विधिपूर्वक श्रीमान् जीवराजजी की प्रोर से पढ़ाया गया । तथा उनकी तरफ से न्याती नोहरे में स्वामीवात्सल्य भी हुआ । जीवित महोत्सव की भी पूर्णाहुति हुई । ज्येष्ठ ( वैशाख) वद ११ शनिवार दिनांक २३-५-८७ के दिन दूसरे जीवित महोत्सव का प्रारम्भ श्रीमान् पुखराजजी चेलाजी की ओर से हुआ । पहला जीवित महोत्सव कराने वाले शा. जीवराजजी नथमलजी ने ( सजोड़े ) चतुर्थव्रत- ब्रह्मचर्यव्रत विधिपूर्वक नाग मंडवाकर के पूज्यपाद आचार्य म.सा. की शुभ निश्रा में उच्चरा । उसी दिन शासनप्रभावक पूज्यपाद आचार्य श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी म. सा. की स्वर्गवास तिथि होने से उनकी गुणानुवाद सभा में पूज्यपाद आचार्य म.सा. का तथा पूज्य गरिणवर्य श्रीगुणरत्नविजयजी म. का प्रवचन हुआ । बाद में परमपूज्य प्राचार्यदेव तथा पूज्य गरिणवर्य ( १९० ) •

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