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श्रीसंघ को मिला। उसी दिन ४५ आगमों की पूजा पढ़ाई गई।
(५) वैशाख सुद १ बुधवार दिनांक २६-४-८७ के दिन ६६ अभिषेक की पूजा पढ़ाई गई। इन्द्रध्वज, रथ, हाथी, घोड़े तथा बैन्ड आदि समेत शानदार जुलूस वरघोड़ा निकलना आज से चालू रहा ।
(६) वैशाख सुद २ गुरुवार दिनांक ३०-४-८७ के दिन ५६ दिग्कुमारी का महोत्सव सुन्दर उजवाया। बारह व्रत की पूजा पढ़ाई गई। भव्य वरघोड़ा निकला । प्रातः नाश्ता एव दो टंक का स्वामीवात्सल्य चालू हुआ।
__(७) वैशाख सुद ३ ( अक्षयतृतीया ) शुक्रवार दिनांक १-५-८७ के दिन पूज्य साध्वी श्री महिमाश्रीजी की शिष्या पूज्य साध्वी श्री गुणवन्ताश्रीजी के दसवें वर्षीतप की महान् तपश्चर्या के पारणे के उपलक्ष में राजस्थानदीपक पूज्यपाद आचार्यदेवश्री चतुर्विध संघ और बेन्ड समेत शा. रूपचन्द अचलदासजी राठौड़ के घर पर पगलां करने के लिये पधारे। वहाँ पर ज्ञानपूजन एवं मंगल प्रवचन के पश्चात् दो संघपूजा हुई। उसी दिन 'श्री सिद्धचक्रमहापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाया गया। तथा
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