Book Title: Epigraphia Indica Vol 13
Author(s): Sten Konow, F W Thomas
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 351
________________ No. 27.] COPPER-PLATE INSCRIPTION OF GOVINDACHANDRA-DEVA%BS. 1186.297 Kapāsi village! (kärpäsigrāma), the identification of the Mangalajathi pattalā alone would help us in locating it with certainty. I am not aware if that is named elsewhere. The inscription was written by Thakkura Visvarapa, who is evidently identical with the wnter of one of the Kamauli plate grants, viz., one dated in Samvat 1184 of the same king. TEXT... L. 11. . . . . . . . श्रीमहोविन्दचंद्रदेवो विजयौ । मंगल12. जठिपत्तलायाम् । कपासौग्रामनिवासिनो निखिलजनपदानुपगतानपि च राजराजीयुवराजमन्त्रिपुरोहितप्रतीहारसेनापतिभाण्डागारिकाक्षपट18. लिकभि[ष] नैमित्तिकान्तःपुरिकदूतकरितुरगपत्तनाकरस्थान् गोकुलाधिकारिपुर षान् समाज्ञापयति वो(बो)धयत्यादिशति च यथा विदितमस्तु भवता ययो. 14. परिलिथि[खि]तग्राम: सजलस्खल: सलोहलवणाकरः समस्याकरः सगतॊषरः साम्ब(म)मधूकवनवाटिकाविटपतुणयूतिगोचरपर्यन्त: सोर्धा (दो)धश्चतु-- 16. राघाटविसु(स): ससोमापर्यन्तः सम्बत् ११८६ मार्ग सु(घ)दि २ स (स)के पोह श्रीमहाणारस्य(य) गंगायां बात्वा विधिवमन्वदेवमु निमनुजभूतपितुगण16. स्तपयित्वा तिमिरपटलपाटनपटुमहसमुष्णरोचिषसुपस्थायौषधिपतिम(स)कलशेष (बोर समभ्ययं विभुवनचातुर्बासुदेवस्व पूजी(जा) विधानाय प्रचुर. 17. पायसेन हविषा हविर्भुजं इत्वा मातापित्रोरामनच पुण्ययशोभिवषये ऽस्माभिः श्रीसां(शांडिल्यगोत्राय । सा(शा)डियाशितदेवसचि(:)प्रवराय 18. श्रीजयन्तपौत्राय । ठ । श्रीश्रीचन्द्रपुत्राय । बा(ब्रा)प्रणश्रीमानस(स)मणे ___वा(ब्रा)अणाय । गोकर्यकुशलतापूतकरतिलोदकपूर्वमाचन्द्रा यावत् शासनीक 19. त्य प्रदत्तो मत्वा यथादीयमानभागभोगकरप्रवणिकरतरुष्कदण्डप्रभृतिसमस्तादा यानानाविधेयीभूय दास्यथेति । .:. ॥ भवन्ति चाप सो. 20. काः । 24. . . . . . लिखितं च ठकुरचोविश्वरूपेणेति No, E 26 of Luc!. Museum, Ibid., p. 96. Here follow eight of the castonary imprecatory vertes. 20

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