Book Title: Dravyasangrah
Author(s): Nemichandramuni
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 2
________________ दवसंगह 'जिन का परम आशीर्वाद, मम सापना जीवन का बल है, जिनकी ममतारी प्रेरणा मेरी रचना शक्ति का एकमात्र दद साम्बल है, ऐसे, जान-पान-तमोरका, मानवता के अग्रदूत, साधना के मेह, बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी, निद्ध-निस्पही साधक, अभीण गानोपयोगी, अध्यात्म के सजग पहरी, अनियत-आहार विहार्य, समता की प्रतिमूर्ति, सम्यकीर्ति, प.प. अचिन्त्य प्रज्ञाशक्ति पारक, युवामुनि 108 श्री सुविधिसागर जी महाराज के परम पुनीत कर कमलों ari-metrios chodae HIKimbult PHP TREE .. सादर समर्पित । .....

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