Book Title: Dravya Saptatika
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 305
________________ ૧૪૦ ३७ ० ० ० ग्रन्थनाम ग्रन्थनाम मूलशुद्धिप्रकरण ४३ / श्राद्धजीत कृत्य वसुदेव हिण्डी |श्राद्धदिन कृत्य १०-११ वसुदेव हिण्डी | श्राद्ध विधि वसुदेव हिण्डी १ खण्ड २९-३० | श्राद्ध विधि विचारसार प्रकरण श्रावक प्रज्ञप्ति - हरिभद्रसूरिकृत विशेषावश्यक सम्यक्त्व कुलक वृद्धवाद सम्यक्त्व प्रकरण व्यवहार भाष्य सम्यक्त्व वृत्ति व्यवहार भाष्य दशमोद्देश सुत्ते छेद-भाष्यादौ व्यवहार भाष्यादि सद कुलक ३१-३३ षट्त्रिशजल्प सङ्घ कुलक शत्रुजय माहास्य ५ सर्ग सङ्घाचार वृत्ति शत्रुञ्जय माहास्य २ सर्ग सन्देह-दोला-वली-वृत्ति १९-२० शत्रुजय माहास्य हैमवीर चरित्र शत्रुजय माहास्य हैम वचन श्राद्धजीत कल्प श्राद्ध दिनकृत्य - पञ्चाशक नामनिर्देश श्राद्धजीत कल्प -पञ्चाशकादि [ ] कोष्टके श्राद्धजीत कल्प वृत्ति | मूल - वृत्तिगत - नामनिर्देशरहित | ग्रन्थान्तरस्थानके - त्रिंशत् प्रायः परिशिष्ट-३ अवचूरिकास्थ-ग्रन्थनाम ग्रन्थनाम ग्रन्थनाम अनेकार्थ | भक्त परिज्ञा आगम भवभावना वृत्ति उपदेशपद ७-१२ | भाष्यादि कल्पभाष्य ५० | महानिशीय छेदभाष्य ४१-४२ | मेदिनी कोष ज्ञानाऽर्णव | योगशास्त्र (हम) दर्शनशुद्धि १४-१५ राज-प्रश्नीय (रायपसेणीय) धर्मशास्त्र रुद्र-कोष धर्मसङ्ग्रह | ललितविस्तरा ध्यानशतक ६७ वसुदेव हिण्डी ध्यानचुतष्पदी ६७ / व्यवहारशुद्धि प्रकाश ३८-३९-४० निशीथादि वृत्ति १०-११ शत्रुञ्जय-माहात्म्य ६७ पञ्चाशक ८-४५ ४७-४८-४९५४ श्राद्ध-दिन-कृत्य १६-६२-६४-६७ प्रवचनसारोद्धार ५०-६७ / श्राद्ध विधि ८-६७ बृहद्भाष्य २-८ | श्राद्ध-जीतकल्प WIE ८-२९ ५९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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