Book Title: Dravya Saptatika
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 307
________________ ૧૪૨ निष्पुण्यक २ २२-२४ नील ४२ ६७ ६७ पत्तन (पाटण) प्रतापसिंह पुण्यसार बौद्ध भरतक्षेत्र भावलदेवी २३-२४ १२ भोगपुर १९-२० १२ ७० س १९-२० o १२ मण्डपदुर्ग (मांडवगढ) मदन-सुन्दरी मदिरा मध्य-प्रैवेयक मल्लश्रेष्ठि मल्लिक महाकाल महानील महिला-देवी महाविदेह महीपाल महेन्द्रपुर मानसूरि माफर माषतुष विनयन्धर विमालाचल १२ शक्रावतार शत्रुज्जय ६७ शान्तनु शैलकयक्ष २९-३० श्री ऋषभदेव | श्री कालिकाचार्य ६७] श्री कृष्ण १२ / श्री कुवलयप्रभसूरि ४३ | श्री जिनभद्रगणि २ | श्री जीवदेवसूरि २९-३० श्री तपागच्छ (तपगण) श्री धर्मघोषसूरि १२ | श्रीपाल ६७ | श्रीपुर ६७ | श्री भद्रबाहुस्वामी १२ | श्री भानुविनय बुध २३-२४ श्री मल्लवादी १२ श्री महावीर श्री मानसूरि ७० श्रीमालीय १२ | श्री लावण्यविजय वाचक ८ | श्री वज्रस्वामि | श्री वर्धमान २९-३० | श्री विष्णुकुमार ६७ श्री वीर श्री शत्रुञ्जय श्री शङ्केश्वर पार्श्वनाथ २९-३० श्री शान्तिसूरि श्री सम्प्रतिजिन श्री सर्वानुभूति २३-२४ श्री सिद्धसेनसूरि २३-२४ | श्री सिद्धाचल २३-२४ श्री सुनक्षत्र २ | श्री सुप्रतिष्ठ १२-५९ | श्री सुमति-साधुसूरि ६७ १९-२० ७० १९-२० ० ७० १२ ७० ० मृग १९-२० १-३८-३९-४० १९-२० ६७ । १३ १२ यदुवंश रत्ल-द्वीप रलपुर राज-गृही रुद्र-दत्त लघुभोज लुम्बाक वसुदत्त वसुमती वसन्तपुर वारुणी विक्रमराजा १९-२० १९-२० १९-२० २६ १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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