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ग्रन्थनाम
ग्रन्थनाम मूलशुद्धिप्रकरण
४३ / श्राद्धजीत कृत्य वसुदेव हिण्डी
|श्राद्धदिन कृत्य
१०-११ वसुदेव हिण्डी
| श्राद्ध विधि वसुदेव हिण्डी १ खण्ड
२९-३० | श्राद्ध विधि विचारसार प्रकरण
श्रावक प्रज्ञप्ति - हरिभद्रसूरिकृत विशेषावश्यक
सम्यक्त्व कुलक वृद्धवाद
सम्यक्त्व प्रकरण व्यवहार भाष्य
सम्यक्त्व वृत्ति व्यवहार भाष्य दशमोद्देश
सुत्ते छेद-भाष्यादौ व्यवहार भाष्यादि
सद कुलक
३१-३३ षट्त्रिशजल्प
सङ्घ कुलक शत्रुजय माहास्य ५ सर्ग
सङ्घाचार वृत्ति शत्रुञ्जय माहास्य २ सर्ग
सन्देह-दोला-वली-वृत्ति
१९-२० शत्रुजय माहास्य
हैमवीर चरित्र शत्रुजय माहास्य
हैम वचन श्राद्धजीत कल्प
श्राद्ध दिनकृत्य - पञ्चाशक नामनिर्देश श्राद्धजीत कल्प -पञ्चाशकादि
[ ] कोष्टके श्राद्धजीत कल्प वृत्ति
| मूल - वृत्तिगत - नामनिर्देशरहित
| ग्रन्थान्तरस्थानके - त्रिंशत् प्रायः परिशिष्ट-३ अवचूरिकास्थ-ग्रन्थनाम ग्रन्थनाम
ग्रन्थनाम अनेकार्थ
| भक्त परिज्ञा आगम
भवभावना वृत्ति उपदेशपद
७-१२ | भाष्यादि कल्पभाष्य
५० | महानिशीय छेदभाष्य
४१-४२ | मेदिनी कोष ज्ञानाऽर्णव
| योगशास्त्र (हम) दर्शनशुद्धि
१४-१५ राज-प्रश्नीय (रायपसेणीय) धर्मशास्त्र
रुद्र-कोष धर्मसङ्ग्रह
| ललितविस्तरा ध्यानशतक
६७ वसुदेव हिण्डी ध्यानचुतष्पदी ६७ / व्यवहारशुद्धि प्रकाश
३८-३९-४० निशीथादि वृत्ति १०-११ शत्रुञ्जय-माहात्म्य
६७ पञ्चाशक ८-४५ ४७-४८-४९५४ श्राद्ध-दिन-कृत्य
१६-६२-६४-६७ प्रवचनसारोद्धार ५०-६७ / श्राद्ध विधि
८-६७ बृहद्भाष्य
२-८ | श्राद्ध-जीतकल्प
WIE
८-२९
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