Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 07 Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 9
________________ (७) दिगंबर जैन । ईडर, मुंबाई, दाहोद, सोनीत्रा, रतलाम, जैपुर, पांगल प्रसिद्ध ऐतीहाप्तिक लेखक व वक्ता हैं जिंतुर, बोचासण, करमसद, आगरा, पालेज, जो पूनामें निवाप्त करते हैं। मीयागाम, भावनगर, पालीताणा, परतापगढ़ तथा करोली-में कैलादेवी पर जो हिंसा होती गुनरातना घणा नाना मोटा गामोना दि० जैन है उसको बन्द करानके लिये जीवदया प्रा० माइओ तथा भट्टारक १०८ श्री सुरेन्द्रकीर्ति, समा अहारनके उपदेशक पं० सोनपाल व पं. ब्र० शीतलप्रसादनी, ब० कुंवर दिग्विजय सिंह, जुगमंदरदासजी भेजे गये थे जिनके उपदेशसे ब्र० दोषचन्दजी वर्णी; ब. महावीरप्रसादजी बहुत हिंसा बन्द हुई है । भने ब्र. हेमसागरजीनी उपस्थितिमा आ सभा मेवारामजीका स्वर्गवास-खुर्ना राव करे छे के मुंबई दिगम्बर जैन प्रांतिक तमा निवाप्ती रा. बा० सेठ मेवारामनीका वैसाख ५० तरफथी सुरतथी ब्र. शीतलप्रसादजीना संपाद. १०को स्वर्गवास होगया । आपकी अन्येष्टि कपणा नीचे जैनमित्र । मामे साप्ताहिक उत्तम क्रियामें २००० आदमी सामिल हुए थे। शहर रीते नियमितरूपे प्रकट थाय छे तेना संबंधमां व कचेरी सच बंद रहा था। नांदगांवनी समानी बेठकमां ब्रह्मवारीजीने बदले एक लाखका दान-झालरापाटन निवासी 'जैनमित्र ' ना संपादक पं० बशीधर शास्त्री सेठ विनोदीराम वालचंदवाले रा० ३० सेठ शोलापुरने नीमवानो जे ठराव थयलो छ माणेक चन्दनीकी माताजी का स्वर्गवास ता. ८ ते ठराव सामे पोतानो अणगमो अने सख्त अप्रेलको हो गया। अंत समय माताजीके दानमें विरोध जाहेर करे छे भने मुंबाई दिगम्बर जैन उके सुपुत्रोंने एक लाख रुपये निकाले हैं। प्रांतिक मानी मेनेनींग कम टीना भातदोने अगरणीमें उत्सव व दान-इन्दौर में विनंति करे छे के तेओ ए ठराव बदलवानो ताकीदे पंचायती नियमानुसार आठवां (अगरणी ) में प्रबंध करे अने अा सभानो मत छे के पूज्य ब. नीमनवार आदि विरकुल बन्द है इप्स'लये अभी शीतलपता:जी जनमित्र' नुं वार्य अतीव उत्तम हीरालाल नी पाटणीने अपनी पत्नीके आंठवांके रीते खंत अने परिश्रमथी करी रहेका छ तेथी उत्सवमें तीन लोक मंडल विधान व कलशोत्सव जैनमित्र' मा संसदक ब्र. शीतलप्रसादजीज १० दिन तक किया । तब नित्य उपदेश भी कायम रहेका जोइए. होता था तथा पटणीजीने इस मौके पर भिन्नर पांगलका वियोग-सेतवाल समानके संस्थाओं को ५२३१) का बृहत् दान किया है अगुए नेमिनाथ पांगलका बाप्ीमें देहांत होगया। जिसमें ४००१) पाटणी बोर्डिग मारोठ व शेष ल तू की विशालकीर्तिकी गादी पर कोई मृढ ५१)से ३) तक संस्थाओं मंदिरों पत्रों आदिको व बालक भट्टारक न बैठे इसके लिये आपने भी दिये हैं। तोड़ परिश्रम किया था। अंत समय १५०) . प्रवास करेंगे-प्रसिद्ध ज्योतिषी व वयो.. दानमें निकाला गया है। आपके पुत्र तात्या वृद्ध पं० जियालाल नी जैन (फरुख :गर-पंजाब)Page Navigation
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