Book Title: Dharm Pravarttan Sara Granth Author(s): Surchandbhai Swarupchand Shah Publisher: Ratanchand Laghaji Shah View full book textPage 7
________________ अनुक्रमणिका. प्रथम धर्मप्रवर्तन सार ग्रंथनी अनुक्रमणिका. क्रमांक विषय. . पान. १ धर्मप्रवर्तन सारना बे भेद कर्या छे. एक मिथ्यात्व सहित धर्मप्रवर्तन तथा बोजो सम्यकत्व सहित धर्मप्रवर्तन २ धर्मप्रवर्द्धन सारना बीजा बे भेद कर्या छे एक व्यवहार धर्मप्रवर्तन अने बीजो निश्चय धर्मप्रवर्तन ३ नयचक्रसार ग्रंथनी अपेक्षाये व्यवहार नयना भेदनी व्याख्या करी छे. ६ ४ जीवना पांचसेंने त्रेसठ भेद चार गतिना मळीने वर्णव्या छे ५ अजीवना पांचसेंने साठ भेद गवेख्या छे ६. गुणठाणानी अपेक्षाये जीवना भेदनी विस्तारीने व्याख्या करी छे १४. ' ७ प्रथम अशुद्ध व्यवहारना भेदनी व्याख्या करी छे १६ ८ पछी शुद्ध व्यवहारना भेद आदे गवेखोने ए सूत्र पूर्ण कर्यु छे. २६ ९ द्रव्यगुण पर्यायना रासना अनुसारे व्यवहारनयनी व्याख्या करी छे ३१ १. आगमसार ग्रंथनी अपेक्षाये व्यवहार नयना छ भेद गवेख्या छे ४० ११ कल्पव्यवहार तथा ज्ञानव्यवहार ए बे भेद गवेखीने व्यवहारनो अधिकार संपूर्ण को छे १२ भवाभिनंदी जीवनां लक्षण विस्तारीने गवेख्यां छे १३ आत्मानंदी जीवनां लक्षण विस्तारीने गवेख्या छ । १४ निश्चय नयनी मुख्यताए धर्मप्रवर्तन विस्तारीने कह्यो छे १५ सिद्ध भगवाननी स्तुति विस्तारे करीने ग्रंथनी पूर्णता करी छे ११३ बीजा क्षायक नाव तत्वविलास ग्रंथनी अनुक्रमणिका. १६ क्षायक भाव तत्सविलासग्रंथनी अढार ढाळोना दुहा दरेक ढाळना मथाळे ढालना उपर छापवा छापनारनी भुलथी रहीगयेला तेथी बधा पहेला नांख्या छे. ते वांचनार भाइयोये ढाळ ढाळ प्रत्ये समजी लेवा. १७ पेहेली ढाळमा क्षायक समकित बे भेदे गवेख्युं छे १२६ १८ बीजी ढाळमां क्षायक चारित्रनी साधनता पूर्ण करी छे १२७ १९ त्रीजी ढाळमां केवळज्ञान केवळदर्शननी व्याख्या करी छे . १२८ २० चोयी ढाळमां द्रव्यानुयोगर्नु स्याद्वाद स्वरुप आदि गवेख्युं छे.१३० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 344