Book Title: Dharm Pravarttan Sara Granth
Author(s): Surchandbhai Swarupchand Shah
Publisher: Ratanchand Laghaji Shah
View full book text
________________
SARASTRAGONRASTRINAGAPAGE
उदयिक नाव ते पूर्वकृत कर्मबंधनो उदय, ते कहे. गति चार, कषाय चार, वेद त्रण, लेश्या ब, मिथ्यात्व, अज्ञान १ असिद्धत्व अने अविरति ए उदयिक नावना एकवीस नेद कह्या. ते समुदाये परिपूर्ण पेहेले गुणगणे साधे. अने उपरनां गुणगणाए ओठा ओला लाधे. उदयिक नाव अ
योगी चौदमा गुणगणा पर्यंत सर्वे गुणठाणे लाधे अने जे & जे प्रकृतिनो उदय थाय तेमां चेतन व्यापकपणुं करे, सं- .
कल्प विकल्प करे तो समय समये सात आठ कर्म बहा सातमा गुणगणा सुधी वांधे, उपरांत सात बांधे. दशमा गुणगणे उ कर्म बांधे. वळी जीवनी शक्ति मरोमी नांखे. कडंडे के “शक्ति मरोमे जीवनी, उदय महा बळवाम" हवे ए उदयिक नावनी क्रियामां नांगा कहे . नविने अनादि सांत नांगो लागे, अने अन्नविने अनादि अनंत नांगो लागे. ए उदयिक नावमी क्रिया कही. हवे क्षयोपशमन्नावनी क्रिया कहेजे, ते पांचमी थिरा दृष्टि पाम्या त्यांथी अंतर्दृष्टिए प्राप्त डे अने थिराष्टिनी प्राप्ति ग्रंथिन्नेद को त्यांथी थ. हवे ते क्रिया क्षयोपशम नावनी क्षय उपशम पूर्वक चोथा गुणगणाथी प्राप्त थर तेना नेद कहे . सामान्य उपयोग ते दर्शन गुणनो, अने विशेषोपयोग ते झान गुणनो, वळी क्षयोपशम नावन हे समकित, तथा देशविरति अने सर्व विरति चारित्र, वळी १
क्षयोपशम नावनी दानादि पांच लब्धि ए क्षयोपशम नावना नेद बे, तेमांथी लब्धि गुणने किंचित् गवेखे .
Quru Que xurder Due Deus
roanservarnerBOGRAGet
PROGreamLASSAGROGRAGG
G
AGRABAR
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 344