Book Title: Dharm Pravarttan Sara Granth
Author(s): Surchandbhai Swarupchand Shah
Publisher: Ratanchand Laghaji Shah

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Page 16
________________ PORNO श्री धर्म प्रवर्तन सार, कर्मग्रंथथी जोइ लेजो. हवे पर्यायना वे नेद एक कर्मनावी अने बीजो स्वनावी. हवे जीवना पांचसे त्रेस नेद कहे जे. तेना मूळ चार नेद. मनुष्यगति (१), तिर्यंचगति (५), नरकगति (३), ) अने देवगति (४), ए चारना प्रत्येक नेदनो विचार. तेमां है प्रथम मनुष्यना नेद वर्णवे . तेना त्रण नेद. कर्मनूमि (१), अकर्मनूमि (५), अने अंतरद्वीप (३), तेमां कर्मजू मिना पंदर नेद डे, पांच नरत (५), पांच ऐरव्रत (५), ., अने पांच महाविदेह (५) ए रीते पंदर नेद थाय. वळी अकर्मनूमिना त्रीस लेद बे. पांच हेमवंत (५), पांच ऐर-6 एयव्रत, (५), पांच रम्यक (५), पांच देवकुरु (५), पांच हरिवर्ष (५), पांच उत्तरकुरु (५), ए रीते त्रीस नेद अकर्म नृमिना कह्या. हवे अंतरद्वीपना उप्पन नेद कहे जे आ जंबुद्धीपने विषे लघु हिमवंत अने शिखरि ए वे पर्वत श्रावेला . तेमांथी वे पूर्वे अने वे पश्चिमे एम लवण समु द्रमां अंतराले एक एक पर्वतनी चार चार दाढायो नीकळेली , ते बे पर्वतनी मलीने आठ दाढायो थर ते दरेक दाढा उपर सात सात क्षेत्र के ए रीते आठ दाढायोना मलीने बप्पन्न अंतरदीप . ए सघळां लेगां करतां एकसोने १ 2) एक मनुष्य क्षेत्र थयां तेना वे नेद एक समचिम अने . बीजा गर्नज तेमां गर्नजनाबे नेद एक पर्याप्ता अने बीजा ॐ अपर्याप्ता. अने समुमितो पर्याप्ति पूरी करे नहीं, अपहो र्याप्ता.अवस्थायेज़ मरे माटे तेनो एकज नेद एटले एक Ener. READER EDEY PRABAR BARABAR GAGRArdwali Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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