Book Title: Dhamma Kaha
Author(s): Pranamyasagar
Publisher: Akalankdev Jain Vidya Shodhalay Samiti
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धम्मका e 98
मट्टिय-मसय-समाणं वक्खाणइ जो सुदं मोहा ॥ दढ-गारव-पडिबद्धो विसयामिस-विस-वसेण घुम्मंतो । सो भट्ट - बोहि- लाहो भमइ चिरं भव-वणे मूढो ॥
इदि वयणादो जहाछंदाईणं विज्जा - दाणं संसार-भय-वद्धणमिदि चिंतेऊण सुहसुमिण - दंसणेणेव अवगय- पुरिसंतरेण धरसेण-भयवदा पुणरवि ताणं परिक्खा काउमाढत्ता 'सुपरिक्खा हियय- णिव्वुइकरेत्ति' । तदो ताणं तेण दो विज्जाओ दिण्णाओ । तत्थ एया अहिवखरा, अवरा विहीणक्खरा। एदाओ छट्टोववासेण साहेहु त्ति । तदो ते सिद्धविज्जा विज्जा - देवदाओ पेच्छंति, या उतुरिया अवरेया काणिया । एसो देवदाणं सहावो ण होदि त्ति चिंतेऊण मंत- व्वायरण - सत्थ- कुसलेहिं हीणाहियक्खराणं छुहणावणयण-विहाणं काऊण पढंतेहि दो वि देवदाओ सहाव - रूव-ट्ठियाओ दिट्ठाओ। पुणो तेहि धरसेण - भयवंतस्स जहावित्तेण विणएण णिवेदिदे सुट्ट तुट्टेण धरसेण-भडारएण सोम्म-तिहि णक्खत्त-वारे गंथो पारद्धो । पुणो कमेण वक्खाणंतेण तेण आसाढ - मास-सुक्क पक्ख-एक्कारसीए पुव्वण्हे गंथो समाणिदो। विणण गंथो समाणिदो त्ति तुट्ठेहि भूदेहि तत्थेयस्स महदी पूजा पुप्फबल-संख-तूर-रव-संकुला कदा । तं दट्ठूण तस्स 'भूदबलि' त्ति भडारएण णामं कयं । अवरस्स वि भूदेहि पूजिदस्स अत्थवियत्थ-ट्ठिय-दंत-पंतिमोसारिय भूदेहि समीकय - दंतस्स 'पुप्फयंतो' त्ति णामं कयं ।
पुणो ते तद्दिवसे चेव पेसिदा संता 'गुरु-वयणमलंघणिज्जं ' इदि चिंतिऊणागदेहि अंकुलेसरं वरिसा - कालो कओ । जोगं समणीय जिणवालियं दण पुप्फयंताइरियो वणवासि-विसयं गदो। भूदबलि-भडारओ वि दमिल-विसयं गदो । तदो पुप्फयंताइरिएण जिणवालिदस्स दिक्खं दाऊण विंसदि सुत्ताणि करिय पढाविय पुणो सो भूदबलि- भयवंतस्स पासं पेसिदो । भूदबलि - भयवदा जिणवालिद-पासे दिट्ठ-विंसदि सुत्तेण अप्पाउओ त्ति अवगय - जिणवालिदेण महाकम्म-पर्याडि - पाहुडस्स वोच्छेदो होहदित्ति समुप्पण्ण-बुद्धिणा पुणो दव्व- पमाणाणुगममादिं काऊण गंथ रचणा कदा। तदो एयं खंड-सिद्धंतं पडुच्च भूदबलि- पुप्फयंताइरिया वि कत्तारो उच्चति ।

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