Book Title: Dhamma Kaha
Author(s): Pranamyasagar
Publisher: Akalankdev Jain Vidya Shodhalay Samiti

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Page 120
________________ धम्मकहाee 119 दृष्टिवाद कथा ६ कथा ७ महर्षि - गुड लवण पल्ल्कासण आदावणादिजोग - अणल वज्जघाद भंडागार कथा ८ वियडी कथा ९ दिट्ठिवाद महरिसि उक्कस्सभोगभूमिमज्झमभोगभूमि - जहण्णभोगभूमि - पुरोहिद सेणावई सदूल णउल वाणर सूयर तव अणसण अवमोदर वित्तिपरिसंखाण - रसपरिच्चाग - विवित्तसेज्जासयणकायकिलेस पायच्छित्त विणअ वेज्जावच्च सज्झा विउसग्ग झााण उत्कृष्टभोगभूमि मध्यमभोगभूमि जघन्यभोगभूमि पुरोहित सेनापति शार्दूल नकुल वानर शूकर तप अनशन अवमोदर्य वृत्तिपरसंख्यान रसपरित्याग विविक्तशय्यासन कायक्लेश प्रायश्चित्त कथा गुड़ नमक पयँकासन आतापन आदि योग अग्नि वज्रघात भाण्डागार विकृति निर्दोष विधि शैक्ष्य ग्लान मनोज्ञ पढ़ाना प्रासुक वात्सल्य यश अनुभूति क्षयोपशम सम्यग्दृष्टि क्षायिकसम्यग्दृष्टि मोक्षमार्ग प्रासाद प्रतिमा प्रायोपगमन संन्यास अच्युत स्वर्ग निधत्ति निकाचित श्रीधवला ग्रंथ तीन बार णिरवज्जविहिणा - सिक्ख गिलाण मणुण्ण पाढण पासुअ वच्छल जस अणुभूदि खओवसमसम्माइट्ठीखइयसम्मत्तस्स - मोक्खपह पासाण - पडिम पाओवगमसण्णास - अच्चुदसग्ग - णिहत्ति णिकाचिय सिरिधवलागंथ - तिक्खुत्त कथा १० विनय वैयावृत्ति स्वाध्याय व्युत्सर्ग ध्यान दूध दहि भिल कथा ११ E

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