Book Title: Devi Puranam
Author(s): Pushpendra Sharma
Publisher: Lalbahadur Shastri Kendriya Sanskrit Vidyapitham

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ सर्वप्रथम प्रोफेसर श्री देवनन्दन प्रसाद यादव, उपशिक्षामन्त्री भारत सरकार का हृदय से अत्यन्त ही प्रभारी हूँ, जिनका आर्शीवाद मुझ पर सदा ही रहा है। उन्होंने भावमय भूमिका लिखकर पुस्तक का महत्व बढ़ाया है। विद्यापीठ के प्रबन्धक समिति के विद्वान् सभापति श्री राजाराम शास्त्री - लोकसभा सदस्य का प्रतीव कृतज्ञ हैं जिन्होंने सदा ही स्नेह प्रदान किया है। विद्यापीठ के अनुसन्धान विभाग के डा० रुद्रदेव त्रिपाठी एवं उनके सहयोगी डा० चक्रधर का आभार कैसे प्रकट करू' वे मेरे अपने ही हैं, उनके सहयोग के बिना ग्रन्थ का प्रकाशन इस रूप में सम्भवतः नहीं हो पाता। प्रियमित्र डा० योगेश्वर दत्त शर्मा ने समय २ पर जो मूल्यवान सुझाव दिये हैं उसके लिये मैं उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापन करता हूँ। १० sro सत्यव्रत शास्त्री प्रो० व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग; एवं अध्यक्ष-कला संकाय दिल्ली विश्वविद्यालय का हृदय से आभारी है जिन्होंने मुझे इस कार्य में दीक्षित किया है एवं उन सभी पुस्तकालय अध्यक्षों का ग्राभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने पांडुलिपियों को देखने की सुविधा प्रदान की या पांडुलिपि मुझे प्राप्त करा कर इस पुण्य कार्य में सहयोग दिया। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के निदेशक व प्रकाशन समिति का कृतज्ञता ज्ञापन करता हूँ जिसने प्रकाशन की अनुमति दी और श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली का हृदय से धन्यवाद देता है जिसने इसके प्रकाशन का व्ययभार वहन करने का दायित्व स्वीकार कर मुझे असीम तोष प्रदान किया। सुहृद्वर प्राचार्य डा० मण्डन मिश्र का कृतज्ञ हैं कि उन्होंने इसके प्रकाशन में रुचि दिखलाई और समय-समय पर उत्साह बढ़ाते रहे। उनके इस स्नेह के बिना इसका प्रकाशन कठिन हो जाता । . श्लोकानुक्रमणिका तैयार कराने में अपने विभाग के अनुसंधानकर्ता श्री विशनस्वरूप रस्तोगी, सुश्री आशा व सुश्री पवन ने मूल्यवान सहयोग दिया है- मैं इन सभी का हृदय से आभारी हूँ। अन्त में मैं अनिल प्रिन्टिंग कारपोरेशन के श्री सुरेन्द्र शर्मा तथा सभी कर्मचारियों का आभारी हूं जिन्होंने बड़ी ही निष्ठा एवं लगन से इस कठिन कार्य को सम्पन्न किया है । अंत में उन सभी विद्वानों, मित्रों, सहयोगियों का धन्यवाद ज्ञापन करता हूं जिन्होंने समय-समय पर प्रेरणा दी एवं उत्साह बढ़ाया और सहयोग देकर इसको इस रूप में पहुँचाया है । कुछ अशुद्धियाँ पाठ में अवश्य रह गई हैं, उनमें से कुछ तो प्रेस के कारण हैं और कुछ पाठभेद के कारण रह गई हैं, पर इसका सभी उत्तरदायित्व मुझपर है । आशा है विद्वान लोग इस विषय में मेरा यथेच्छ दिशानिर्देश करेंगे एवं उत्साह बढ़ायेंगे । जगज्जननी प्राद्याशक्ति की कृपा होने पर दूसरे संस्करण में दोषों का निराकरण पूर्ण रूप से हो सकेगा, मेरा ऐसा विश्वास है। त्वदीयमेव देवेशि तुभ्यमेव समर्पये तिथि दीपावली - सं० २०३२ ३-११-७५ ( १९ / २२ शक्तिनगर ) दिल्ली- ७ विद्वस्कृपाकांक्षी पुष्पेन्द्र कुमार शर्मा संस्कृत-विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली-७

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 588