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१२. विध्नासुर का वध और विनायक की उत्पत्ति । १३. विभिन्न यागों द्वारा ग्रहशान्ति । १४. पुष्पों से अभिषेक । १५. दुर्ग निर्माण और रक्षा के उपाय । १६. वर्णाश्रम धर्म एवं सदाचार पालन । १७. देवीपूजा एवं राजा हरिश्चन्द्र आदि भक्तों की रक्षा । १८. आयुर्वेद का निर्देश । १६. वैदिक यज्ञों का विधि-विधान और फल । २०. पदमाला विद्या का माहात्म्य और विधान। २१. कालसंख्या या कालविभाजन । २२. ध्वजदान आदि उत्सवों का विधान ।
इस विषय सूची को देखने के बाद यदि हम देवीपुराण की वर्ण्य सामग्री पर दृष्टिपात करें तो ज्ञात होगा कि मुख्य रूप से इसी विषयवस्तु का वर्णन देवीपुराण में उपलब्ध होता है एवं इसके अतिरिक्त कई अन्य विषय भी आनुषंगिक रूप से वणित किये गये हैं । अतः केवल पाद विभाजन के आधार को लेकर यह निष्कर्ष निकालना कि पुराण समग्र रूप में उपलब्ध नहीं है-उचित प्रतीत नहीं होता है। हाँ यह निश्चित है कि देवीपुराण विस्तारपूर्वक शुम्भ निशुम्भ पाख्यान का वर्णन नहीं करता है और इसके अतिरिक्त अन्य कई देवी से सम्बद्ध उपाख्यानों को भी देवीपुराण में स्थान नहीं मिला है।
मध्यकालीन निबन्धकारों ने जो श्लोक अपने ग्रन्थों में देवीपुराण के नाम से उद्धृत किये हैं उनके अध्ययन से भी इस पुराण की विषय वस्तु पर काफी प्रकाश पड़ता है। ये विषय इस प्रकार हैं(i) दुर्गापूजा, दुर्गा प्रतिमालक्षण, उपकरण सामग्री, मातृपूजा, देवी नाम, कन्या पूजन
आदि। (ii) बिभिन्न व्रतों का विधान, अक्षयतृतीया, ध्वजोच्छ्रय महोत्सव, लाक्षा होम आदि । (iii) विभिन्न पदार्थों से बनी गायों का दान, घोड़ों, भवनों, दूध, दही आदि का दान। (iy) ब्राह्मण भोजन, पित पिण्ड का दान, तीर्थों में श्राद्ध, गंगा की प्रशंसा, शिव पूजा आदि । (v) कुओं व तालाबों का निर्माण, उद्यानों एवं वृक्षों का प्रारोपन आदि। (vi) विधान सम्पन्न शूद्र की प्रशंसा, राजा द्वारा सिद्धान्तों एवं शास्त्रों का प्रतिपादन और संरक्षण; ___ वृषभ लक्षण, शव एवं वैदिक शास्त्रों का माहात्म्य ।
इनमें से कुछ श्लोक तो वर्तमान देवीपुराण में उपलब्ध होते हैं और कुछ नहीं भी । कुछ श्लोक तो ऐसा प्रतीत होता है कि प्रादेशिक रहे हैं और उन्हें निबन्धकारों ने देवीपुराण का कह दिया है। अलग-अलग प्रदेशों में निबन्धकारों ने पृथक्-पृथक् श्लोक उद्धृत किये हैं जिनसे यह सम्भावना भी होती है कि इसके बड़े पाठ भेद रहे होंगे। दूसरे पुराणों के श्लोक भी देवीपुराण के नाम से उद्धृत किये जाते रहे होंगे। फिर भी भविष्य में हम देवी पुराण से सम्बद्ध और सामग्री मिलने की आशा करते हैं।