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अध्याय १२१श्लोक ३६;
पृ० ४२६-४३१ पवित्र अग्नि की स्थापना; वामाचारी, दक्षिणाचारी और वेदान्तियों आदि का वर्णन; - हवन विधान, और तीन प्रकार की अग्नियों का वर्णन । अध्याय १२२श्लोक २६
पृ० ४३२-४३३ पाहवनीय अग्नि; गार्हपत्य अग्नि एवं दक्षिणाग्नि का वर्णन एवं इन सभी का उपयोग । अध्याय १२३श्लोक २८;
पृ० ४३४.४३५. देवी पूजा में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न पुष्पों; सुगन्धियों एवं नैवेद्यों का वर्णन । अध्याय १२४-- श्लोक १५;
पृ०४३६-४३७ देवी पूजा एवं गुरुपूजा की विधि और महत्त्व; पूजा के लिये उपयुक्त स्थान; षडङ्ग न्यास,
एवं हवन आदि का विधान । अध्याय १२५
श्लोक १०; गुरु की शिव के साथ एकात्मकता; एवं गुरु की पूजा का विधान । अध्याय १२६श्लोक ३५;
पृ० ४३६-४४१ अग्नि संस्कार की विधि; हवन प्रक्रिया, विभिन्न मुद्राओं एवं मन्त्रों का वर्णन । अध्याय १२७श्लोक २३८;
पृ० ४४२-४५६ राजाओं द्वारा देवी पूजा; राजाओं के आचरण का जनता पर प्रभाव; राजकुमारों को अच्छी शिक्षा; श्राद्धों का विधान; देवी स्तवराज का वर्णन: अनेक स्थानों एवं नामों का
वर्णन । अध्याय १२८श्लोक ६०;
पृ० ४५७-४६१ देवी पुराण की पूजन विधि; देवी पुराण का वाचन; कथा वाचक का मादर; इन सभी की फल श्रुति । पुराण समाप्त ।
पृ० ४३८
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श्लोकानुक्रमणिका--
पृ० ४६२-५४४