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इस कथन की पुष्टि उन मूर्यंकनों से भी होती है, जिनमें अनेक श्रावक-श्राविकाओं को बहुमूल्य वस्त्रालंकारों से सुसज्जित तथा रंगरेलियाँ मनाते हुए प्रदर्शित किया गया है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि अभिलेख देवगढ़ के प्राचीन इतिहास, संस्कृति, धर्म, और कला आदि पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालने में पूर्णतः समर्थ हैं।
1. दे.-चित्र सं. 88, 90, 93, 114, 116, 119, 121, 122 तथा 57, 118 आदि।
266 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन
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