Book Title: Devgadh ki Jain Kala
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 375
________________ Jain Education International डॉ. भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु' जन्म : 2 अप्रैल 1937, रीठी, जिला- जबलपुर, म.प्र. । शिक्षा : सागर विश्वविद्यालय से एम.ए., पी-एच.डी. । साथ ही साहित्यशास्त्री, काव्यतीर्थ, साहित्यरत्न । कार्यक्षेत्र : म.प्र. शासन के महाविद्यालयीन शिक्षा विभाग में संस्कृत तथा प्राकृत के प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे। मध्यप्रदेश शासन संस्कृत अकादेमी, भोपाल के सचिव (1993-97) और राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं अनुसन्धान संस्थान, श्रवणबेलगोल के निदेशक भी रहे हैं। अपने शैक्षणिक कार्यकाल में जैन विद्याओं पर शोधकार्यों का निर्देशन किया। प्रकाशन : प्रमुख कृतियाँ हैं- 'देवगढ़ की जैन कला', 'भारतीय संस्कृति में जैन तीर्थों का योगदान', 'जैन दर्शन का व्यावहारिक पक्ष : अनेकान्तवाद', 'अतीत के वातायन से...', 'संस्कृत का नाट्य साहित्य' आदि । प्राच्य वाङ्मय तथा जैन विद्याओं के अनेक मूर्धन्य विद्वानों के अभिनन्दन / स्मृतिग्रन्थों का संयोजन और सम्पादन । अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से अलंकृत । सम्पर्क सूत्र : सरोज सदन, सरस्वती कॉलोनी, दमोह (म.प्र.) - 470661 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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