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130. (क) जैन मन्दिर संख्या 12 में स्थित तीर्थंकर मूर्ति। (ख) तीन पंक्तियाँ।
(ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) अज्ञात । (ङ) जैन शासन से प्रभावित किसी
नागेन्द्र आदि का वर्णन। अधिकांश अक्षर टूट गये हैं। 131. (क) जैन मन्दिर संख्या 12 में स्थित तीर्थंकर मूर्ति । (ख) पाँच पंक्तियाँ।
(ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) अज्ञात। (ङ) आचार्य माधवदेव और उनके शिष्यों का उल्लेख है। बीच-बीच में इस अभिलेख के अधिकांश अक्षर टूट गये हैं। इसके नीचेवाली पंक्तियों में उल्लेख है 'जिनबिम्ब कारितम्
शुभम्'। 132. (क) जैन मन्दिर संख्या 12 में स्थित तीर्थंकर मूर्ति । (ख) दो पंक्तियाँ ।
(ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) अज्ञात। (ङ) इस अभिलेख के अक्षर सुरक्षित होने पर भी अपाठ्य हो गये हैं। केवल प्रारम्भिक शब्द 'सिद्धंश्री' पढ़ने में आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें कुछ वर्ण बाद में उत्कीर्ण
किये गये हैं। 133. (क) जैन मन्दिर संख्या 12 में स्थित तीर्थंकर मूर्ति। (ख) दो पंक्तियाँ।
(ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) अज्ञात। (ङ) उल्लेख है कि इस मूर्ति का
निर्माण इत्ताम के पुत्र गणदेव ने कराया। 13.1. (क) जैन मन्दिर संख्या 12 के गर्भगृह के प्रवेश-द्वार का दायाँ पक्ष। (ख)
चार पंक्तियाँ। (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) संवत् 1051 । (ङ) संवत्
1051 में इस प्रवेश-द्वार के नवीनीकरण का विवरण दिया है। 135. (क) जैन चहारदीवारी, पश्चिमी भित्ति (भीतरी ओर) में प्रवेश-द्वार के दायें
जड़ी हुई तीर्थंकर की कायोत्सर्ग मूर्ति। (ख) एक पंक्ति। (ग) संस्कृत,
देवनागरी। (घ) अज्ञात। (ङ) ब्रह्मचारी नवल का प्रणाम उत्कीर्ण है। 136. (क) जैन चहारदीवारी, पश्चिमी भित्ति (भीतरी ओर) में प्रवेश-द्वार के दायें
जड़ी हुई तीर्थंकर की कायोत्सर्ग मूर्ति। (ख) एक पंक्ति। (ग) संस्कृत,
देवनागरी। (घ) अज्ञात। (ङ) जिनमती का प्रणाम अंकित है। 137. (क) जैन चहारदीवारी पश्चिमी भित्ति (भीतरी ओर) में प्रवेश-द्वार के दायें
जड़ी हुई तीर्थंकर की कायोत्सर्ग मूर्ति । (ख) एक पंक्ति। (ग) संस्कृत,
देवनागरी। (घ) अज्ञात। (ङ) सालसा का प्रणाम अंकित है। 138. (क) एक पत्थर की बावड़ी के निकट प्राप्त स्तम्भ का खण्डित अंश।
(ख) दस पंक्तियाँ। (ग) संस्कृत, देवनागरी। (घ) शनिवार, फाल्गुन बदी दशमी, सं. 16311 (ङ) कुछ पण्डितों का वर्णन है।
परिशिष्ट :: 283
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