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48. मानस्तम्भ क्रमांक 17। 49. अठारह भाषा और लिपिवाला अभिलेख। 50. प्राचीनतम तीर्थंकर मूर्ति : मन्दिर संख्या 12 । 51. विशालतम तीर्थंकर मूर्ति (शान्तिनाथ के नाम से प्रसिद्ध) मन्दिर संख्या
12। 52. पद्मासन तीर्थंकर : मन्दिर संख्या 15। 53. पद्मासन तीर्थंकर : मन्दिर संख्या छह। 54. नेमिनाथ : मन्दिर संख्या 15। 55. पार्श्वनाथ : दोनों बगलों में सर्प का अंकन-मन्दिर संख्या 6। 56. पार्श्वनाथ : चकवा के चित्र सहित (जैन चहारदीवारी)। 57. संगीत मण्डली, नृत्यमण्डली तथा पद्मासन तीर्थंकर : जैन चहारदीवारी। 58. अभिनन्दननाथ : मन्दिर संख्या 9। 59. आदिनाथ : मन्दिर संख्या 3। 60. आदिनाथ तथा अन्य तीर्थंकर : मन्दिर संख्या 2। 61. कलापूर्ण किन्तु सम्प्रति शिरहीन तीर्थंकर : मन्दिर संख्या 21 के
पश्चिमी कोष्ठ में। 62. नमिनाथ : मन्दिर संख्या 28। 63. तीर्थंकर : नवग्रह एवं अम्बिका यक्षी अंकित होते हुए भी फणावलिधारी
(मन्दिर संख्या 12)। 64. कलापूर्ण चतुर्विंशति पट्ट : मन्दिर संख्या 12।। 65. चतुर्विंशति पट्ट : जिसमें केवल 23 मूर्तियाँ हैं : मन्दिर संख्या 4। 66. आदिनाथ : मन्दिर संख्या 21 67. आदिनाथ : मन्दिर संख्या 2। 68. तीर्थंकर : (1) लम्बी और सुसज्जित केश राशियुक्त तथा (2) नवग्रह
अंकित (मन्दिर संख्या 13)। 69. तीर्थंकर : (1) तकिया के रूप में फणावलि तथा (2) सुसज्जित
केशराशि (जैन चहारदीवारी)। 70. पार्श्वनाथ : तकिया के रूप में फणावलि : मन्दिर संख्या 12। 71. पार्श्वनाथ : सर्प के आसन पर आसीन : मन्दिर संख्या 25 । 72. तीर्थंकर (जैन चहारदीवारी) तथा तीर्थसेवक बरयाजी। 73. तीर्थंकर : चीनी मुखाकृति तथा केशराशि : मन्दिर संख्या 12 । 74. ऋषभनाथ (जैन धर्मशाला)। 75. तीर्थंकर, पाठशाला दृश्य एवं चतुर्विंशति पट्ट : मन्दिर संख्या 4 । 76. तीर्थंकर तथा खड़ी सरस्वती : मन्दिर संख्या ।।
310 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन
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