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निर्मित मन्दिरों में से भी अधिकांश ध्वस्त हो चले हैं। कुछ मन्दिरों के अधिष्ठान इतने नीचे रखे गये कि अब वे भूमि के समतल हो गये हैं। प्रवेशद्वार भी बहुत छोटे बनाये गये ।
एक निश्चित और क्रमबद्ध निर्माण-परम्परा के न रहने से देवगढ़ की वास्तुकला की एक स्वतन्त्र शैली न बन सकी, जैसा कि अन्य अनेक कलाकेन्द्रों में हुआ। शास्त्रीय विधानों का पालन यथोचित रूप में न तो स्थपतियों ने किया और न ही शिल्पियों ने। इस प्रकार देवगढ़ की कला में कुछ शोचनीय तथ्य भी प्राप्त होते हैं।
सुझाव
देवगढ़ की बहुमूल्य कलाराशि की सुरक्षा और मूल्यांकन की नितान्त आवश्यकता है।
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1. सुरक्षा के लिए जीर्णोद्धार प्राचीन काल से ही किया जाता रहा, पर यह कार्य आर्थिक दृष्टि से उतना जटिल नहीं, जितना तकनीकी दृष्टि से । इसमें प्राचीन स्मारकों के मौलिक रूप का ज्ञान और उसके आधार पर जीर्णोद्धार कार्य आसान नहीं है। इसके लिए विशेषज्ञों की सहायता नितान्त आवश्यक है।
2. कुछ वर्ष पूर्व अनेक मूर्तियों का भंजन तथा बहुत से दुर्लभ कलावशेषों की चोरी हो गयी है। शासन का ध्यान विशेष रूप से इस ओर जाना चाहिए। 3. शासन की ओर से देवगढ़ क्षेत्रीय प्रबन्ध समिति' के अधिकार में जो भूमि दी गयी है, उसमें अधिकांश स्मारक स्थित हैं। कुछ स्मारकों के अवशेष उस भूमि के बाहर भी प्राप्त हुए हैं, अतः वह भूमि भी सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्रीय प्रबन्ध समिति के अधिकार में होनी चाहिए ।
4. बिखरी हुई प्राचीन सामग्री को एकत्र करके एक अच्छे संग्रहालय में सुरक्षित करना बहुत आवश्यक है । परन्तु सम्पूर्ण सामग्री एक तो उसमें प्रदर्शित किये जाने के योग्य नहीं और विपुलता के कारण वह प्रदर्शित भी नहीं की जा सकती । ऐसी सामग्री की सर्वथा उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। उसे जैन प्राचीर के पृष्ठभाग से संलग्न बरामदा जैसी अल्पव्ययसाध्य वीथिका निर्मित कराकर उसमें प्रदर्शित किया जाना चाहिए ।
5. अभिलेखों को जलवायु और दर्शकों से पहुँचनेवाली क्षति से बचाये रखने के लिए पारदर्शक आवरणों से आवेष्टित किया जाना चाहिए ।
6. देवगढ़ के भूगर्भ में पर्याप्त सामग्री के दबे रहने के प्रमाण प्रायः मिलते हैं । अधित्यका पर खोदे जानेवाले कुएँ में छह फुट की गहराई पर एक दीपक प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार जैन प्राचीर की नींव खोदते समय ईंटों की प्राचीन भित्तियाँ और अनेक प्रतिमाएँ प्राप्त हुई थीं । वस्तुतः यहाँ अब तक उत्खनन कार्य नहीं किया गया।
270 :: देवगढ़ की जैन कला एक सांस्कृतिक अध्ययन
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