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परिशिष्ट
1. अभिलेखों की सूची और संक्षिप्त विवरण
इस परिशिष्ट में देवगढ़ के जैन अभिलेखों की सूची और उनका संक्षिप्त विवरण इस क्रम से दिया गया है : (क) अभिलेखोत्कीर्ण वस्तु । (ख) माप। (ग) भाषा और लिपि । (घ) उत्कीर्ण तिथि और राजा का नाम आदि। (ङ) अभिलेख का विषय। 1. (क) श्री एफ. सी. ब्लेक को देवगढ़ दुर्ग में ही प्राप्त किन्तु सम्प्रति राष्ट्रीय
संग्रहालय, दिल्ली में प्रदर्शित शिलाफलक। (ख) छह फुट दो इंच » दो फुट नौ इंच x तीन इंच। (ग) साहित्यिक संस्कृत, देवनागरी। (घ) गुरुवार, वैशाख शुक्ल पूर्णमासी, विक्रमाब्द 1481 तथा शालिवाहन (शक) संवत् 1346 । राजा-गोरी वंश का शाह आलम्भक, यह मालवा का शासक था। सुलतान दिलावर गोरी के द्वारा संस्थापित मालवा के गोरी वंश में द्वितीय सरदार सुलतान हुशंग गोरी उर्फ अलपखाँ था। इसने माण्ड नगर बसाकर अपनी राजधानी धार से माण्डु स्थानान्तरित की थी। इसका शासनकाल ई. 1405 से 1432 ई. तक माना जाता है। सरदार अलपखाँ इस अभिलेख में शाह आलम्भक के नाम से अंकित किया गया है तथा इसी की नवीन राजधानी का नाम अभिलेख में 'मण्डपपुर' दिया गया है। (ङ) उच्चकोटि की काव्यात्मक संस्कृत में उत्कीर्ण इस अभिलेख में विस्तृत रूप से होली नामक दाता की प्रशस्ति अंकित हुई है। उसने आचार्य शुभचन्द्र की आज्ञा से देवगढ़ में एक विशाल जिनालय का निर्माण कराया था तथा कुछ मूर्तियों की प्रतिष्ठा भी करायी थी। (अभिलेख पाठ के लिए देखें
परिशिष्ट दो, अभिलेख क्रमांक चार।) 2. (क) सम्प्रति जैन धर्मशाला स्थित दिगम्बर जैन चैत्यालय में विद्यमान
272 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन
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