Book Title: Dev Vandana Stuti Stavan Sangrah
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वक्तव्य. ॐ अर्हमहावीरायनमः श्री " देववंदन स्तुति स्तवन संग्रह" एवं आ पुस्तकनुं नाम पाडयुं छे. साणंदना शेठ, उमेद महेताना सुपुत्रो-त्रिभोवनदास तथा चुनीलाल तथा पौत्र, शा. दलमुखभाइ गोविंदनी प्रेरणाथी सं. १९७७ मां साणंदमां चोमामु कयु हतुं त्यार देववंदन ' स्तुति ' पूनाओनी रचना करवानों प्रारंभ को हतो. देववंदन अने स्तुतियोनो द्वन्द वास साणंदमां रचायो छे, तथा बीजनुं स्तवन त्यांथी आरंभीने अर्धमान तप ओली स्तवन मुधीनो स्तवन भाग पग साणंदमां रचायेल छे. पहेली चोवीशी. सं. १९६४ ना माणसाना चोमासामां आषाढ मासमां रचाइ छे अने वीजी चोवीशी. सं. १९६५ नी सा. लमां डभोइमां श्रीमद उपाध्याय यशोविजयनी देरीमा फाल्गुन पूर्णिमाने दिन रचेली छे. आबे चोवीशीओ पहेलां साणंद जैनोदय बुद्धिसागर समाज तरफथी छपाइ हती छतां स्तवनोनो उपयोग विशेष प्रमाणमां थाय अने पुस्तक भेगो जळवाइ रहे एम जाणी आ पु. स्तकमां दाखल करवामां आवी छे. पाछळनां चे स्तवनो मेसाणामां हालना चातुर्मासमां रचायेलां छे. विविध रुचिवाला जीवो छे. सर्व जीगेनी भिन्न भिन्न रुचि छे. भक्तिनां स्तवनो पैकी जेने जेको । 'धिकार होय छे तेने ते स्तवन रुचे छे. स्तवनो पैकी केवलांक जी रुचिनी प्रेरणानुसारे रचायलां के अने केटलांक स्वानुभव For Private And Personal Use Only

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