Book Title: Dasvaikalika Sutra
Author(s): Swayambhava, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 4
________________ जीवने हतिया निविदा चारस्रादिग्रावरस्वताय २१ क:बामाईक दंडे निवृतंपकअप रिणत वज्रकेंद "विनंतस्य पयस्थनीजनस्य सकपानस्मरलादि ३० प्रतिसर्वत्व जो 21V विवित्तिया तत्वानि छु। आनर साराप्रिय॥ २२॥ मूलय सिंगानारय अनुसडेयनिवाड कंदें मूल सामूलादि उपवितं अपके ग्राफलादि २ बीजेला र मोबईले श्वानिस कमाल विशषा निसवैन समुद्रसवे पशु वारुष ४वरक्त ४१ लव ४२ लवाणं ४६ श्रम सचित्र 29. अपतं ०४ मूल सचिता फालबीयमासाद्याल सिधावणे | रामालोगेायाम (सामा६० सुशार भिलवणं सेव पर्वतेकादश शत्रा २४ वा दिवमनं किमस्टाफ पदेवर स्वामी राजमादि देतु मात्र तंगग्घेना देना पस अपक का २४ चत्रियमाणेा। बच्चो कमचरी जगदेव श्रमायासंग चि कालाला विषावर सर्वमतननाची "निघानाममिंज मे सानोभवेतासामा घुलदस्तो विजेषांवा एव प्रतिबद्ध विहारल २५० RE || सद्यामयम पाइन्नति गोघ्राणमाद सिएं। संजम मिय जुत्ताएं।। जनय विदारि २६ नियंघाबारु संतश्परिभुक्का चुदरस श्रातापयति चंदाश्रव हिंसादयोपरि ज्ञानानि त्रास सजीव संयतारा पंचेनीय मिश्रणश्रीरामचवंत नामारं प्रतिसेयमता स्वराल स्वायमस्त स्वधास्त स्तं करा 25311 पंचा सपरिवाया तियुत्तात संजया। पंच निगाह गाधीरा निग्रोधाप्रमुदे णि 29 आयाच यातापयंतिऊचेति ग्रीका सेतसीत का नाश्ता वर्षातली नाशके दोषाश्रय, संजिना सा भव समाहिता ज्ञानादयन्त्र परीक्षरू रिपवः प स्वायन परासर्वत्र वचने प्रतिवर्षा कारणामे ज्ञानाच प्रावरण येतिगिष्टासु दमात मुजवाया। वासास पडिली | संजया सुसमादिया| रहे। परी सद जीत 'धूतमो का निमो हा जितेंदी सर्वस्वपोमोद प्रदेशाधूरामादाज्यं दिया। सच्चरकपही। एक्क मे तिमदे सिणो | 2015क्कराइक रिताग प्रशोना. प्रकतेवतीत महर्षय २८ करालवद्देसक त्यागादी निरुवा

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