Book Title: Dasvaikalika Sutra
Author(s): Swayambhava,
Publisher: ZZZ Unknown
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स्टोन मोन दिव्यांको से सामने नवा दीयमानंप्रतीति यस्मात्त्रषलीयनवेयोरेकरता स्वामिनी झुंजमानयो। लाजनादिनयोरेक एव साधु निमंत्रये कूदी साद घेरा दिवणदिद्यमाणेपडिजिजा जिल्ले सपियंसवेरा उन्हें अनुजमा गाएंगे (यंगो वच्च निमंत) यमान का दिन इन्कीया मे मेदेन नेत्रादि यतः मेयस्यवेद एवंानपिस दिन मंत्र यक्ति का दामीति कीया दीयमानं ततः प्रतीचे यतस्त अस्पेष्टनावतिष्
दिघमा (एनईआर वेदसेपडिले
मंत्र जमाला गोतचनिभे तयादिमालिया
प्रेषणीयं सवति वप: निस्संकलितं विवपानादिनाथा तुज्यमानं विवर्तयत्मा समस्या तिला गाना दिनु क्रसेषेवते
चिद्या अंतप्रेशरिणयताव 20 द्विपीयन्ते विवहेतोय गुंजमा चिवजिज्ञासुन से
३० स्थानका चित्रालीकाल मासवती ननमा सवती
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नावाड, तेजयाराइकणियादित्रिये डिगा
४२१६४६ विद्येमाणीदारगंधा को ताकादिलो चारुदेवं ग्राफरेता जोन में ४२ नवे पान साधूनामक ४३ जसाबसरूपाने कच्या कल्बयो मिक स्व कुमारियां तं निखिचि रोयते आहारा पाला॥४२ तेनावत्तत्४२ तेलावतत्रपालकाक दिदतीति श्रावदे ममेकवारेले व मी मापे वापीनवा कामवाली टिकिलिये भवा के नव संबं
मिस किये द्वितीयं । ४६४ / दंग नारे एपि दिये। नी सापची डियावालोटे एवाविधीडेएगा लेंगे सेवके

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