Book Title: Dasvaikalika Sutra
Author(s): Swayambhava, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 21
________________ सेना आनयेत दात्री पाण से अनंतंत्र कल्पनी थंन इच्छेन्नीयात्मतिगिकीयार अल्यै तिखा श्रातरंतीयानयेत्ती स्यात् कदाचिनतंत्र आहारेयाण जोयां ऋणिमपिगाहियक थियो २७ आहारती शियाका एडिसाडिद्या देखे परिस्यानयेद् विरूपयेोजने ततो ददंनी प्रतिद्याचखेन प्रतिषेधये ती या बीजा निरूपितानिवसमई यति संयम सौनकर परिसात्तनदोष वामन कल्यान २० मियो। दीनीयपडियाइशस्व मेकपणेनारिस (२८ | समुहमा पीयाचारी जी यणिदरिया लिया संनम शी नाशं ज्ञायापरिवजयेन निषेधयेन त्वर्यःसरति वित्तादिकेतधाय चित्रमचिस चित्रेपरिनक्षपवासचित्तंषत्तवां घटवावेव श्रमलाई अदकंसे करिननद्या[तारिसंपडिना | सादद्दु निश्खिविताले सचित्रेघटिया लिया तदेव समाय प्रतिपद्यतान्यवादयति दकमेव मनोनिषुषं चारुष्यचालयचा आपण अशक में पारू कोन पारून जलो शितेन दिव्या 'जने दात्री प्रति" नमेकल्यतिता ग नाजनको मत गेसं पपुलिया २० प्रागादत्ताचला आहारपाणतोय। दिती ३१ पुरेकमेण घेण | दहिए द देवीप्रति श्राचसेनमेकपद को मल के विंड नाईन मतिमेन रजस्कन सक्तिरजक रिटेल एक्रम आप रिता ही घुल को मनुस सायराचा दिनी ॥ २२॥ एवंनद लेस सिप) ससर रकम हिज्ञान सोहरियाल दिए लिया मलो सि अनंत कालापी सोशटिका नृषिका आम कारण को साधा व पतितते न घर तिर मंटो में लाजणे लो। गेमूत्रवन्निय सेठी सोरिद्विग्रपिठ संकपत्र नक्किम सेराठे ( संसदेचे नति जनादिनिबोध ३४ अनादिनाऽलिप्ते नरूक्तेन दिव्याकांश ना अनेन वा दीयमानेनश्वेत प २ कमावल वबोधवेसणहघेाद दिसा योगवां दिद्यमानडू चिया पत्राकम्मे हिंसवे। 24 SRINA 22

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