Book Title: Dasvaikalika Sutra
Author(s): Swayambhava, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 19
________________ वच्या सामंत सुनिएकांत मोक्षः मार्थआश्रितः ११. स्वानंद्यूतानां वप्रभूतानां मंगो बलीवई स्यं श्चंग करत एता नि रिजन्ननोऽ नि पाचससामा पीएगेत मिस्त ११ सासूत्रेमा चिदिने गादये गये। से डिझेकल हंजुम । इख सावतो जात्यादिगवान् असम इंडिया लिमयेागं याविषयं दमित्रापुनि जोत जावतो पदार चार अप्ररो दमन ना कुल लग्नाचणीपत्र पत्रिणानाला इंदिश्राईज दाराागे दमाणी चार १२ परिवजय। १२ मी नगचेत्र प्राणम्यगोवा स्मन् वान निगचे व्यवो वष्टा दिला व तो बंधनादिनि एवं श्रवश्वप्नील दा दछ र साना विद्या तासमारीला गोचार दसतो नातिश विद्या। ॐ तं नचान्यं सया | १४ आलोकं वा ख्यादि तीनो दीनां नररूम्स्वानंयुतां ग्रान कां येत नवनीत मित्यादि सतानि 24 आलोयेष्ठिग्गालेदारा। सिंधिंदा नवा लिय। चरंतो निविनिद्रा संकठा विवाय १५ यूक्रवक्ता दिः गृहपतीनां मेटादिनांच मापवकश दिल हयस्वाने से कोरणं स्वानं राज्ञकार चलताष्टाभिरते परिपरिवर्तय १६ प्रतिनिष रंग्नोमिहिवईांच सदस्मार पिया लिया सकरेल स करता। हरय परिव।।१६ पछि अद्वितिंम धेरज का इविरं मूर्तिका दिया व्यक्र दिलेन विविज्ञान ममटकस्मत प्रातिशुकु लेपच मेगा साधु : मात्रामा तन मामकं परिघेन यत्रपविदतिपत्तिविमेन्स कलेनचे समामगेपरिघ चित्रकलेनपवास, वितेपिविसे लेंके। रख/सालीघा चारिक बना दितेन हि चंद्वारे मनाउनु या न हो घाटयेन द्वारंन प्रेराम २० कृपा द्वारं नोदघा प्यून आगार कार्ये यतनय गोधरा विट था उदघाट वाश्म दिये अपायानावसुं खारा कवाडे नाप लिया। नग्गदे मिश्र जाइया । गोयरापदि १०

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