Book Title: Dasvaikalika Sutra
Author(s): Swayambhava, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 36
________________ UD\ कां से कुछचो लादिष्ठ कोशात्रेषु स्वालादिरुस्त पादाकरिष्टन्मयजने समयानादीनि आवरा परिवति ५१ सदकेन काल नाधार से सोकस के साऊंड मो परवाडी खिजेतो या मायारारिसमासीनंदगमसा मात्रानाशाने जलोसितं निहते दिसते ना निप्रालिका संपततीति गृहिता जुने ग्रादिसाधवो नुं जंच व पश्वादिता रोमन वो एमिल जाइंट मिलेजा। दो असम पर पाकमा एक भासियत का मादः ॥ प्रयश्वा कर्म वासवः इतिश्र्वकर्मचम्पान्वादी मचिकायको ध तोनक तेज कटरुदैन हाजानन जी कणा राचमेवलुजे ति निगोधा गिद लोयमे पत्रासदीयलिय के सामंचमा सीलवाणाइरिय मनोआ सशिव सडवा UAN ननिषेधेमे चिकापतिको निष्णा दायां गदिका यायी विकावे यामादिनिर्ये मात्र नित्ये च तुषा न तिनेष्प पुत्रासादः प्रति (निवद्याफेम नासदीय नियोक खान निसिज्ञानपीठपा निगोघाप दिलेहाय (बुदयु कलासमाचरति नो नाजारे मारितंपद्यते श्राप नोति के मिया न्नमदिहिगामशीरविजयाच्या या लाडयलिद आसंदी मूलिये को।पयमहं विवश्या रविधी जयति दीपका नसार्य दीनद्यो निषेमप्रतिको प्रगारिगृही अग्र त्रफले ५६ (विवर्त्तिषेऊन रूमवश्यम पोरगापविवस्त्रानिसका अब कया। शमर सिमणा यारे श्रावक्राइबो दिया विवत्रीब ब्रह्मचर्य का दीनांध माया आसनसाइनका बिका नीर्थकरोतिवचनकरेणपरावे प्रतिक्रोधो मृगारिणां गृही भूचर्यस्य सतसिंक। सत्वररसाया पाचवा दवदवीमगाए डिग्घाड़ापणिको हो। गारिगुती बेजचे 4

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