Book Title: Dasvaikalika Sutra
Author(s): Swayambhava, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 13
________________ व्यंजन जिनेवा प्रवेयदम न्यादि यत्रवेडे पत्रने मेनका सायाहरू सापया आयेक देशेनवार मारला मार समुदानवा नालियापनेचात ते गेल्या सादाय्वा साहारोगे एथा। चिडयोणचाचिऊ दावा तवा बालनदारस्तेनवा : नमन कार्य बाह्य वापि देगलेर सादका दिन नकुर्यान्न बाज चिलेावाचल कातणव दाघव मुहेशाचा अपशोचा कार्य। बादरेवा विद्युगलानफुमि ज्ञान ४ अघत्तिश्कुवा शिरकू की वा ३ मोछारपछार्यन्पेनन् कारयेन नव्या जये वीजयंत जानीयातू चीने नऊमा विज्ञानवीयाविद्या अधमेते वा नीयतेचा न समजाणिद्रास तिरकूव यधाबी जेड सलाबाजे चिरल परजाप्रतिष्टे वा चोटितपत्रेषुवात्रोटितपत्रप्रति वासचित्रे कीटकांवर सजीवाएको लघुास्ते प्रत्तिनस्पतेश कुलीवात्सवी सुवा बीयपयडे युवा सांट युवा रुटाइसुना जाए सुवा। जायइसुधादिनि मगच वतीतन मस्वायत एवं श्रान्नगमादाय सचित्र प्रदा चित्रपरिवा कीटका वा नचि संवाद रिपथाचाचिने सवा चिन्न परदेसवा सचित खवासचितको यल पासवान एवं न्येवान गामव नस्वापयेत ननिषीदाय नचावतीय तू पीटफला दिवा तेननिषीदन गति नचिनिन सीइजा | अन्नगाविज्ञानश्चिका विज्ञान ग्रहाविज्ञा प्रगच्छेतवा श्रन्नषीदयं तवा स्वयं नमनुजानीयात ५ यधातिकूर्वा सिरकुकावा यथाकी विवानिसीयसेवा उयहेतेा न समरपुजा पिज्जा जावजीवास तिरकुता। शिखुली 9 'जाचज्ञीवं

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