Book Title: Ched Suttani Aayar Dasa
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: Aagam Anyoug Prakashan
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१४०
छेवसुत्ताणि
२३ अबहुस्सुए य जे केई, सुएण पविकत्थइ ।
समाय-वायं वयइ, महामोहं पकुव्वइ ॥२६॥ २४ अतवस्सीए जे केइ तवेण पविकत्थइ ।
सव्वलोय-परे तेणे, महामोहं पकुव्वइ ॥२७॥ २५ साहारणट्ठा जे केइ, गिलाणम्मि उवहिए। .
पभून कुणइ किच्चं मज्ज्ञपि से न कुम्वइ ॥२८॥ - सढे नियडी-पण्णाणे, कलुसाउल-चेयसे ।
अप्पणो य अबोहीए, महामोहं पकुवइ ॥२६॥ २६ जे कहाहिगरणाई, संपउंजे पुणो-पुणो। ___ सव्व-तित्थाण-भेयाए महामोहं पकुव्वइ ॥३०॥ २७ जे अ आहम्मिए जोए, संपउंजे पुणो-पुणो। .
सहा-हेडं सही-हेडं, महामोहं पकुव्वइ ॥३१॥ २८ जे अ माणुस्सए भोए, अदुवा पारलोइए।
तेऽतिप्पयंतो आसयइ महामोहं पकुवंइ ॥३२॥ २६ इड्डी जुई जसो वण्णो देवाणं बलवीरियं ।
तेसि अवण्णवं बाले महामोहं पकुव्वइ ॥३३॥ ३० अपस्समाणो पस्सामि देव जक्खे य गुज्झगे।
अण्णाणी जिण-पूयट्ठी महामोहं पकुम्बइ ॥३४॥ एते मोहगुणा वुत्ता, कम्मंता चित्त-वद्धणा। जे तु भिक्खू विवज्जेज्जा चरिज्जत्तगवेसए ॥३५॥ जं पि जाणे इतो पुव्वं, किच्चाकिच्चं बहु जढं। . तं वंता ताणि सेविज्जा, जेहिं आयारवं सिया ॥३६॥ आयार-गुत्तो सुद्धप्पा धम्मे टिच्चा अणुत्तरे । ततो वमे सए दोसे विसमासीविसो जहा ॥३७॥ सुचत्त-दोसे सुद्धप्पा, धम्मट्ठी विदितायरे । इहेव लभते कित्ति पेच्चा य सुगति वरे ॥३८॥ एवं अभिसमागम्म, सूरा दढ परक्कमा । सम्व-मोह-विणिमुक्का, जाइ-मरणमतिच्छिया ॥३६॥
त्तिबेमि। समत्ता मोहणिज्जठाणं-नामा नवमदसा ।
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