Book Title: Chandrayan Vrat Katha
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीसर्वेश्वरोजयाने अथ चांद्रायराबनकथाभाषाटीकाप्रारंभः॥ ॥एकसमय राजा युधिष्ठिर जिज्ञासहोके श्रीकृष्ण भगवानकों प्रश्न पूंछताभया हेभगवन् देवनदेव चतुर्दश लोकके ईश्वर जगनके प्रभु सबलोकके हिनकी कामना कर्के अर्थात् जिसमै सबनका हिनहोय ऐसा एक कोई भी वन मेरेकौं कहो श्रीगणेशायनमः युधिष्ठिरउवाच भगवन्देवदेवेशलोकनाथजगत्प्रभो॥ बतंकिंचिदास्माकंलोकानांहितकाम्यया 1 यंकृत्वामानवोभनयासर्वपापैः प्रमुच्यते // श्रीकृष्णावाच बचांदायगराजन्सर्वसिडिमदायकं 2 यथा विष्णुर्हिदेवानांडिपदांबाह्मणोयथानिगानांचयेथामेरुःगौर्वरिष्टाचतुष्प दाम् 2 . जिसवनकों मनुष्य भक्ति पूर्वक करके सब मन बचन काया पापसें छूट जाय ऐसा | व्रत मेरेकों कहो॥१॥ नवश्रीकृष्ण कहतेभयेकि हेराजन् युधिविर सर्वप्रकारकी सिडिका देनेवाला एसा व्रतोंमें उनम एकचांद्रायरा नामवनहै||जैसे देवनमें विष्णु उत्तमहै और हिपदजानीमें ब्राह्मण उत्तमा For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26