Book Title: Chandrayan Vrat Katha
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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.क. दिनव्रत करने वालोंकों 16 मास लेना॥८॥जैसे चंद्रमा दिन प्रनिएकेक कलासें हीन होनाह से रिनरम निएकेकग्रासबत करने चालेकेभीकमतीहोजाना है ॥३॥हेभारत युधिपिर चांदायरानमें हविष्यान्नकाकू कडीके अंडप्रमाए। ग्रासकहाहै॥४४॥पीरेजैसे चंद्रमावधे तैसेमासकों भी रधानाऔरएकादशीकों अरु नत्तस्यांषोडशनासाःग्रात्यावैवनचारिभिः॥८२॥यावरूधांशदीयेतप्रत्यहंकलयैकया ग्रासोपिप्रत्यहंतावडीयतेव्रतचारिभिः 3 कुकुण्डप्रमाणोहियासोभवतिभारताव्रतेचा दायरोगासोहविष्यानविनिर्मितः 84 यायसुधाशुचईतनावदासोपिचधुने।एकादश्यात्र तंकुर्यादमायामपिबतं 5 नेयासास्तहिनेदेयागोमुखेभरतर्षभ॥एकमेगराजेंद्ग्रनंचा ट्रायचरेत् 86 कृपोगासा:पदीयतेप्रवर्धनेनथासिते॥इंदो कलानुसारेहासरश्मि अमावास्याकों बत उपवासकरना॥४५॥ तबउसदिन के पास हेयुधिष्ठिरगायके || मुरयमें देनाइसरीनिसें हेराजेंद्र नांद्रायण बन करना॥८६॥ कृष्ण पक्षमें प्रासहीनहोना हैअरु शुक्ल पक्षमें गोदिनाः८७ For Private and Personal Use Only

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