Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri
View full book text
________________ (353) खिणतामजो / कट्याणकनिर्वाणनो चवसोकशुरे लो० // 5 // हारेमारे पागवलता गौतम जाएयोनिर्वाणजो / वजाहतपरे मुर्चितथई जागृतथयारे लो० // 6 // हारेमारे विविधविलापकरेश्रीगौतमस्वामी जो / वीतरागथईकेवललचिपामीयारे लोग // 7 // हरिमारे काशीकोसलदेशतणा गणरायजो / अढारेमिलि पोसह विधिशुंआदखोरे लो० // 7 // हरिमारे जावउद्योत गयांथकां अव्यग्द्योतजो। रयणमुकीने दीवालीकरी तिन समेरे लो॥ ए॥ हारेमारे गोतमकेवल महिमाकरेइंचजो। जाश्वीजजमाड्यो बेहनीये नाइनेंरे लो० // 10 // हरिमारे दीवालीनो बकरीचौवीहारजो / सोलपहोरनो पोसहतपाराधियेरे लो० // 11 // हारेमारे गुणनोकरी परनाते मंगलकाजजो / गौतमस्वामीन एकासकोकरे लावशुंरे लो० // 12 // दीवालीपर्व लोकोत्तर लोकीकजो / परसिधथयो कारतिकवदिअमावसेरे लोग॥१३॥ हारेमारे पर्वाराधनकरो नवि मनउ. बरंगजो / जिनकृपाचंजसूरिकहे सुखसंपति वरोरे लो० // 14 // हारे मारे // इति दीवालीसकाय // // अथ श्रीपर्युषणपर्वनी सज्झाय लिख्यते // // देशी यतनी // सखी पर्वपजुषणाव्या / नविजनना मनमांजाव्या / एमां आश्रवपांचहटाव्या, एतो सर्वजीवसुखपाव्या सनेही पर्व पजुषण सेवो / एतो सेवी शिवसुख लवो / सनेही पर्व० // 1 // श्रीवीरजिनेश्वरलाखे / एपर्वसेवो श्रुतसाखे / श्रीनप्रबाहुस्वामीदाखे / एतोकटपसूत्रश्म श्राखे / स० // पर्व० // 2 // आउदीवसअमरपलावे / जिनचैत्ये

Page Navigation
1 ... 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418