Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri
View full book text
________________ (365) कर्मकतरणी शिव नीशरणी।जाण गणअनुसरणीजी।चेतनराम तणीएघरणी। जवसमुःखहरणीजी ॥नव०॥३॥जयवंतापाउकगुणधारी राजसार सुविचारीजी / निर्मल ज्ञानधर्मसंजाली। पाठक सहितकारीजी // नावना // 4 // राजहंससुगुरु सुपसाये / देवचं गुणगावेजी / नविक जीव जे लावननावे। तेह अमित सुखपावेजी / जावना० // 5 // जेसलमेर साह सुत्यागी / वर्षमान वमनागीजी / पुत्रकलत्रसकलसुनागी / साधु गुणना रागीजी // नाव // 6 // तसाग्रहथीनावना. नाश् / ढाल बंधमां गाइजी। लणसे गुणसे जेएह ज्ञाता / लहेसे ते सुख साताजी // नाव // 7 // मनशुधे पंचे नावनानावो, पावन निजगुणपावोजी / मनमुनिवर गुणसंगवसावो / सुख संपति ग्रहथावोजी॥ नावना० // // इति श्रीपंमितदेवचंजीकृतसाधुनी पंच नावना संपूर्णा // // अथ पंडित श्रीदेवचंद्रजीकृत प्रभंजना महासतीनीसझाय लिख्यते॥ // नाटकीयानी देशी // गिरिवैताब्यनेऊपरे / चक्रांका नयरीरे लो। अहोचका० // चक्रायुधराजातिहां / जीत्या सवीवयरीरे लो // अहो० // 1 // मदनलता तससुंदरी / गुणशील अचंनारे लो॥ अहो० // पुत्रीतासप्रनंजना / रूपे रतिरंजारे लो // अहो // 2 // विद्याधरजूचरसुता, बहुमली एकपंतेरे खो॥ अहो // राधा वेधे मंमाविठं / वरवरवा खंतेरे लो॥ अहो // 3 // कन्याएकहजारथी / प्रनंजना चालीरे लो॥ अहो // आर्यखममां श्रावतां, वनखंमविचालीरे लो॥

Page Navigation
1 ... 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418