Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri

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Page 408
________________ (30) पूज्यचंपापूरी, निजकारजकस्खा, गिरनारगिरिपर, नेमिजिनवर, सिववधु करग्रह्यो, वीसजिनेसर, समेतसिखरपर, सिवमंदिर लह्यो // 2 // जिनवरवाणि अमियसमाणि, मिठीजिम सेलमी, अधिकसुहाणि, नविमनन्नाणि, अमृतरसवेलकी, जिनगुणगाति, समरसमाति, सुरवधुगावति, अनुजवसंगे, आत्ममंगे, निजगुणध्यावति, // 3 // अंबिकादेवी सुजसलहेवी, सुतदोयलालती, शासनदेवी सुरनरसेवी, संघरखवालती, गोमेधयक, सांनिधदद संघने कीजियै, जिनकृपाचं सेविसूरिंद, जगमे जशलीजिय, // // इति नेमिनाथ शुश् सं०॥ पास जिनराया वामाजाया, नगरी वणारसी, अश्वसेनराजा, जगमेंताजा, सबजनतारसी, वदिचोथदिवसे, चैत्रजगीसे, प्रनुजी अवतो, दशमीपोष, जगसंतोष, सव कारजसर्या, // 1 // प्रथमजिनेसर, चारहजारे पास मसित्रयशत, वीर इकेला, षट्र सतसाथे, वासुपूज्य ग्रहिब्रत, जगणीस जिनपति सहससंघाते, संजम आदर्यो, कर्मखपावी, केवलपामी, निजकारजकों // 2 // जिनपतिवाणी, मीठीजाणी, स्वर्गे सुरवेलमी, साकरखंझे गुलनहि मंझे, पीलेरस सेलमी, जाखवनमांहे, अमृत अमराहै त्रणपसु चावती, एसहुलाजी, जिनगुणगाजी, इंज्ञाणी गावती // 3 // पारसयद, कारजददकरे सहुसंघनो,च्यारवाढु कवव साहु वरण सांमल वनो, देवीपद्मा, सुखनीसद्मा, दियेसुखसंपदा, जिनकृपाचंज पत्नणे सूरिंद, सेवे सुरनर मुदा ॥॥इति पार्श्वनाथ शुई।। ॥श्रीमहावीर स्वामी थुइ // आषाढ शुदि गी स्वर्गथी चवियाईश, आश्विनवदि तेरस

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