Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri

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Page 412
________________ (३एव) // इति श्री वीरजिन चैत्यवंदनं संपूर्णम् // // अथ श्री नेमिजिन चैत्यवंदनप्रारंभ // नेमिसर जिन जगधणी, रैवतगिरि सिणगार, यादवकुल नन दिनमणि, नवियण ने सुखकार // 1 // तीनकट्याणक इहां थया, दिदानाण निरवाण, जव्य मनोरथ पूरवा, चिंता मणी समजाण // 2 // शिवरमणी रंगे वर्या ए, बावीसम जिनचंद, कृपाचंद नितप्रति नमै, शिवसुखतरूनो कंद, // 3 // ॥इति नेमिजिनचैत्यवंदन संपूर्ण // ॥अथ श्री पुंडरीक गणधर चैत्यवंदन // रिषन जिनेश्वर रायना, पहिला गणधरदेव, पुंगरीक नामे सदा, सुरनर सारे सेव // 1 // चैत्रीदिन शिवपुरलह्या, पांचक्रोम परिवार, पुंमरीक तेहथी श्रयो, प्रगट नाम सुखकार // 2 // अवसरपणिकालमेए, प्रथमसिद्ध अजिराम, कृपाचंद गिरिराजने, प्रतिदिन करे प्रणाम // 3 // // इति पुमरीक गणधर चैत्यवंदन संपूर्णम् // // अथ श्री चतुर्विशति जिनलांछन चैत्यवंदन // रिषन वृषन गज अजितने, संनव घोमो जाण, अजिनंदनने वांदरो, कौंच सुमति मनाण // 1 // पद्म पद्म स्वस्तिक सुपार्श्व, शशिचंप्रन लहिये, मकर सुविधि शीतल श्रीवत्स, श्रेयांस खमंगी कहिये // 2 // वासुपुज्य महिषतणो, विमल वराह नो जाणो, अनंत श्येन वज्र धर्मने, शांति मृग पहिचानो // 3 // कुंथुनाथने बोकमो, अर नंद्यावर्त होय, महीघट सुव्रत काउवो, नमि निलोत्पल जोय // 4 //

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