Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri

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Page 391
________________ (373) // आठमनीसज्झाय // // समकितमूलगुंभारेपेसताजी ए देशी॥ आपमतपसेवो नवि सुनमनेजी / आणीनाव अपारजी। आपकरमनजीतवाकारणेजी / ए तपसे विलहोसुखसारजी // आ० // 1 // श्राउप्रमादतजीने पाळिएजी / प्रवचनमाता आजी // पांचसुमति त्रणगुपतिकहीजी / एहथीहोवेसंजमगठजी // आ० // // इरियासमति वरदत्तमुनि करिजी। जाषा संगतमुनिसुविचारजी / एषणानंदिषेणउजवालतोजी। सोमिल चोथीनो अधिकारजी // श्रा० // 3 // मुनिचंपारिगवणसुमतितणोजी। कोंकण मनगुप्तिदृष्टांतजी // गुणदत्तवचननो उपयोगी श्रयोजी / अरएक कायगुप्ति सुखशांतजी // श्रा० // 4 // इंजियाउने वसकरी साधियेजी। आठमी, गतिगुणखानजी // श्रीजिनकृपाचंजसूरिसेवनाजी, वचनामृत मनाणजी // // 5 // इति // // एकादसीनीसज्झाय लिख्यते // // वीरा म्हारा गजथकी ऊतरो // ए देशी // ग्यारस आराधिये / विधियुत संजमवंतारे / अंगग्यारह आराधवा / एतिथी सेवो जजमंतारे // श्या० ॥१॥ए तिथीकर्मदय कारणी / नाखीश्रीजिननाणोरे / कल्याणक बहुलाया। ते सहु दिलमा आणोरे // श्या० ॥२॥अरनाथदीदाादरी / नमिलह्यो केवलनाणरे / जन्मदीदाकेवलत्रण / मल्लिजिनना कल्याणरे // ग्या० // 3 // मागसर सुदि ग्यारसे / जरत पांचमा जाणोरे / एरवत क्षेत्रमा इमहीज /

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