Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri

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Page 396
________________ (377) नजी, जनम्याङसुखरी मोरा जिनजी, पोषदशमी कट्याणकबीजोथयो // 5 // ग्यारस दीदाहो जिनजी, कमउने दीधीसीक्षा मो० जिन् केवल पामीरे सिव रमणीलही // 3 // नेमिजिनेसरहो जि जगपरमेसर मो० जि सोरी पुरमारे प्रनुजी जनमीया // 4 // गिरनार नद्यानमेहो जि० दीदा सुखखान मो० जि राजीमतीतजी संजमादों // 5 // केवल पायोहो जि० सुजससवायो मो० जि संघयापीने प्रनुजी विहरीया // 6 // रथनेमी समजावीहो जि० वम्यो आहार वतावी मो जिप राजीमतियै संयम आदस्यो // 7 // वस्त्र सुकावेहो जि० रहनेमीने ढलावे मो० जि० कर्मखपावी विडं मुगते गया // 7 // नेमी जिनराजहो जि० मुक्ति सिरताज मो जि० सहसवरसनो आयु पालीने // ए॥ तेवीश आंतरा जाणो हो जि० चोथे आरे प्रमाणो मो० जिप श्रीजिनकृपाचंदसूरि पर्व सेवोसदा // 10 // इति बीजनी पर्युषणानी // स० ॥धारणी मनावेरे मेघकुमारनेरे ए देशी॥ आदीसर अलवेसरने नमीरे, सशुरु चरण पसाय, सिकायकहस्युरे पर्युषण तणारे, सुगुणा जनमनलाय // 1 // नविजन सेवोरे पर्वसोहामणोरे, वांछितफल दातार, लोकिक लोकोत्तरमां इणसमोरे, दूजो नहि सुखकार, नवि० ॥२॥त्रीजे आरे प्रश्रमजिनेसरुरे, उपन्या नरतमकार, नालिकुलगरमरु देवानलीरे, जिण जाया जगदाधार नवि० // 3 // इक्ष्वाकवंशश्राप्यो इंज आवीनेरे, परणाव्या दोय नार, जुगलाधर्म

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