Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri

View full book text
Previous | Next

Page 379
________________ (361) जे विणसीजाय / रोगादिकथी नविरहे / कीधेकोटीउपाय // रेजीव // 13 // अंतेपण एनेतज्यां / थायशिवसुख / तेजोलूटे आपथी। तोतुजने स्योकुःखः॥ रेजीव // 14 // एतनविणसे ताहरे नविकांइहाण / जोज्ञानादिकगुणतणो / तुजश्रावेजाण // रेजीव० // 15 // तुंअजरामर आतमा / अविचलगुणराण / क्षणभंगुरआदेहथी।तुज कीहां पिगण॥रे जीवन // 16 // दनदनतामना / वधबंधनदाह / पुद्गलने पुजलकरे / तो अमरगाह ॥रेजीव० // 17 // पूर्वकर्म उदयेसही / जे वेदनाथाय / ध्यावेत्रातम तिणसमे / तेध्यानीराय॥ रेजीव०॥१०॥ ज्ञानध्याननीवातमी / करणीआसान / अंतसमे आपद पड्यां / विरलाकरेध्यान // रेजीव० // 15 // अर. तिकरी सुःखलोगवे / परवसजेमकीर / तोतुजजाणपणातणो / गुणकेवोधीर // रेजीव० // 20 // शुधनिरंजननिरमलो निजश्रातमन्नाव / तेविणसे कहे मुखकिश्यो / जेमिलियो दाव / रेजीव० // 21 // देहगेह लामातणो / एआपणो नाहिं / तुज गृहातमझानए / तिणमाहेसमाहि // रेजीव० // 22 // मेता. रजसुकोसलो / वलिगजसुकुमाल / सनतकुमारचक्रीपरे / तनममताटाल ॥रे जीव // 23 // कष्टपड्यां समतारमे / निज आतमध्याय / देवचंड तिण मुनितणा / नितवंउपाय // रे जीव० // 24 // // ढाल 4 थी प्राणी धरीये संवेग विचार // ए देशी // ॥ज्ञानध्यानचारित्रनेरे / जोहढकरवाचाहे / तो एकाकी विहरतारे / जिनकटपादिसाहेरे / प्राणी एकलनावना लाव /

Loading...

Page Navigation
1 ... 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418