Book Title: Bruhat Stavanavali
Author(s): Bhagubhai Panachand Jhaveri
Publisher: Bhagubhai Panachand Jhaveri
View full book text
________________ (351) मु० // 2 // जिहांशरीरतिहां मलऊपजेरे / तेहतणो परिहार // करेजंतु चरस्थिरअणदूहव्यारे / सकल गंगवार // मु० // 3 // संयमबाधक आत्मविराधनारे / आणाघातकजाणि // उपधि अशन शिष्यादिकपरग्वेरे / आयति सानपिगणि ॥मु॥४॥ वध्या आहारे तपीया परिवेरे / निजकोठे अप्रमाद / देहअरागीनातअव्यापतारे / धीरनोएहअपवाद // मु० // 5 // संलोकादिकदूषण परिहरीरे / व रागनेदेष // श्रागमरीतेपरउवणीकरे / लाघवहेतु विशेष // मु०॥ 6 // कल्पातीत आहालंदीदमी रे / जिनकट्पादि मुनीश / तेहने परमवणा एकमलतणी रे / तेहअटप वलि दीस // मु० // 7 // रात्रे प्रश्रवणादिक परग्वेरे / विधिकृतमंमलगम // शिविरकटपनो प्रति अपवादरे / ग्लानादिकनहिंकाम // मु० // // वलिएह अव्यश्री लावमारे / बाधक जे परिणाम // षनिवारी मादक ताविनारे / सर्व विनावविराम // मु० // ए॥ अंतःपरिणति तत्त्वमयी करेरे / परिहारता परनाव // व्यसमिति पणनाव जणीधरेरे / मुनिनो एहस्वलाव // मु॥ 10 // पंचसमिति समतापरिणामथीरे / हमाकोष गतरोष // लावन पावनसंयम साधतारे / करता गुणगणपोष // मु०॥ 11 // साध्यरसी निजतत्त्वे तन्मयारे / जरंगी निर्माय / योगक्रियाफल लाव अवंचतारे / शुचिअनुनवसुखदाय // मु०॥ 12 // आणा. जीतजुआ नाणी रसीरे / निश्चयनिग्रहयुत्त // देवचंड एहवा निग्रंथजेरे / ते माहरूं गुरुतत्त्व // मु० // 13 // इति पंचम पारिष्ठापनिका समिति सझाय //

Page Navigation
1 ... 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418