Book Title: Bibipur sthit Chintamani Parshwanath Jinalayni Prashasti Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ १० (३`वाछा, वच्छा (वत्सा) - गोरदे ( गुरुदे ) (४ (५) सहस्रकिरण (सहिसकिरण, सहेसकरण), (१) (६) मानकुंअरि (कुंअरि) ↓ (८) वर्द्धमान - वीरमदेवी ↓ वस्तुपाल रायसिंह चन्द्रभाण (९) शान्तिदास (१) विशदा (२) (७) सोभागदे (सौभाग्यदे) ↓ विजय सुन्दर कल्याणमल्ल (२) कपूरा (३) फूला (४) वाछी ↓ पनजी - देवकी रतनजी कपूरचन्द्र लक्ष्मीचन्द्र (१) ज्ञाति - शाखा - गोत्र वंशनी नोंध 'अनुसन्धान १८ ' मां प्रकाशित थयेलसिद्धाचलतीर्थ चैत्यपरिपाटी (पृ. १२४) मां छे. अनुसन्धान ४५ (२) जैन परं इति. भा. ४ पृ. १२१ मां तेमनुं नाम 'हरपति' जणावे छे. जेने कर्ताओ तेमना प्रपौत्र जणाव्या छे. (३) जैन परं इति भा. ४ पृ. १२५ पर तेमनुं बीजुं नाम 'वाछा' जणावे छे. तेमनुं कुटुम्ब विजयसेनसूरिजी म. नुं उपासक हतुं. प्रशस्तिसंग्रह पृ. ८ प्रशस्ति नं. २४मां 'वडा' नाम लख्युं छे. परं. ना इतिहासमां पद्मा शाह पछी वत्सा शाहनी नोंध छे. वच्चेनी नोंध नथी. Jain Education International (४) प्रशस्तिसंग्रहमां (अमृतलाल मगनलाल शाह द्वारा सम्पादित ) पृ. ८, २४ लेख नं. २४, १०७ मां 'गुरुदे' नाम लख्युं छे. (५) प्रशस्तिसंग्रहमा 'सहिसकिरण' अने सिद्धाचलतीर्थचैत्यपरिपाटीमां 'सहसकरण' नाम छे. तेओ विद्याप्रेमी अने धर्मप्रेमी हता. तेमणे For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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