Book Title: Bibipur sthit Chintamani Parshwanath Jinalayni Prashasti Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ अनुसन्धान ४५ क्षेमवर्द्धनगणिए पण लीधेल छे ; जी हो चिन्तामणि देहेरुं करी लाल, नवलख नाणा रोक जी हो प्रभु पधरावी हरखीया लाल, रवि देखी जिम कोक (ढाळ ४ कडी १३) अहीं खास नोंधवं जोईए के ऐतिहासिक रास संग्रहमां पृ. ८नी टिप्पणीमां सम्पादके 'अमदावादनो इतिहास' पुस्तकमांथी नीचेनी नोंध लीधी छ : "आ ५२ जिनालय, शिखरबंध देहरुं सरसपुर नामना पुराथी पश्चिमे आशरे खेतरवा एकने छेटे छे. अने कहेवामां आवे छे के नगरसेठ शान्तिदासे रू. ५/७ लाख खर्चीने (देहरूं) कर्यु हतुं. ओ देहरानो तमाम घाट हठीसिंगना देहरा जेवो छ पण फेर एटलो ज छे के हठीसिंगर्नु देहेरं पश्चिमाभिमुखनु छे अने आ दहेरुं उत्तराभिमुख छे. xxx त्यारबाद सं. १७०१ मां औरंगझेबे आ जिनप्रासादने तोडावी एमां फेरफार करी तेने मस्जीद बनावी दीधी. आम थवाथी गुजरातमां मोटुं बंड थयु. शान्तिदास शेठे सूबाना तोफाननी शाहजहांने अरजी मोकली. अमदावादना मुल्ला हकीमे पण पत्र लखी जणाव्यु के - 'आ घटना सूबाना हाथे थयेल हीचकारी घटना छे तेथी बादशाह शाहजहांए राज्यना खर्चे सं. १६८२ना जिनालय जेवू नवु जिनालय बनावी शेठने आपवानुं फरमान लखी मोकल्यु. देरासर पहेलाना जेवू तैयार थई जता सं. १७०५-१७०६मा पुनः प्रतिष्ठा करावी." ते प्रतिष्ठा कोना हाथे थई तेनी नोंध मळती नथी. 'राजनगरनां जिनालयो' पुस्तकमां पृ. ४ उपर - 'सं. १७०५मां जिनालय तैयार करवामां आव्युं परंतु मन्दिरमा गायनो वध थयेलो होवाथी फरी देरासर तरीके तेने स्वीकारवामां आव्युं नहीं' -आवी नोंध छे. त्यार बाद थोडा वर्षे मुसलमानोनी आफत आवी. आ वखते शेठना पुत्र लक्ष्मीचंदना पुत्र खुशालचंद्रे गाडा मारफत प्रतिमाजीओने झवेरीवाडमां लाववानी व्यवस्था करी, तेमांथी ३ मोटा प्रतिमाजीने शेठ शान्तिदासनी स्मृतिमां बनावेल आदीश्वर जिनालयना भोयरामां पधरावी' अने मूळनायक श्रीचिन्तामणि १. प्रतिमाजीने झवेरीवाडानी नीशापोळमां जगवल्लभना भोयरामां पधराव्या. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24