Book Title: Bibipur sthit Chintamani Parshwanath Jinalayni Prashasti Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ सप्टेम्बर २००८ पार्श्वनाथने झवेरीवाडना शेठ सूरजमलना बनावेला जिनालयमा पधराव्या. आ देरासर आजे वाघणपोळमां चिन्तामणिपार्श्वनाथना नामे प्रसिद्ध छे. आ सिवायनी अन्य प्रतिमाजीना स्थळान्तरनी नोंध अने उपरनी घणी - बधी बाबतो जैन परं नो इतिहास भा. ४ पृ. १३२ थी १३७, १४६ तथा २५४ - २६० मां नोंधायेल छे. आ वातोनी खास नोंध शान्तिदास श्रेष्ठीना रासमां पण नथी. शेठ आणंदजी कल्याणजी पेढी द्वारा प्रकाशित थयेल 'राजनगरनां जिनालयो' पुस्तकमां प्रस्तुत इतिहास तो छे. विशेष सं. १६९४ मां मेन्डेलस्लो नामना प्रवासीओ भारतनी मुलाकात दरम्यान आ देरासरनी मुलाकात लोधी हती तेनी नोंधनो केटलोक अंश अहीं टांक्यो छे "आ देरासर नि:शंकपणे अमदावाद शहेरना जोवालायक उत्तम स्थापत्यमांनुं एक हतुं. ते समये आ देरासर नवुं ज हतुं कारण के तेना स्थापक शान्तिदास नामे धनिक वाणिया मारा समयमां जीवता हतां. ऊंची पथ्थरनी दीवालथी बंधायेला विशाळ चोगाननी मध्यमां आ देरासर आवेल हतुं. x x xx प्रवेशद्वारमां बे काळा आरसना सम्पूर्ण कदना हाथीओ हता. तेमांना एक उपर स्थापकनी (शान्तिदासनी ) मूर्ति हती. " x x × × नगरशेठनो वंश - वंशावली (१) ओसवालज्ञाति-वृद्धशाखा- कुंकुमलोलगोत्र - सीसोदीया वंश ↓ (२) पद्म (पद्माशाह ) - पद्मा ↓ Jain Education International (?) .- जीवणी ९ ↓ सहलुआ-पाटी ↓ हरपति पुनाई For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24